
परिवर्तिनी एकादशी पारण में ब्रह्ममुहूर्त का महत्व
परिवर्तिनी (पद्मा) एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पारण का सबसे शुभ समय ब्रह्ममुहूर्त माना गया है।
🌸 ब्रह्ममुहूर्त क्या है?
- ब्रह्ममुहूर्त सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले का समय होता है।
- यह समय देवताओं, साधना और अध्यात्म के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- आयुर्वेद और ज्योतिष दोनों ही इसे “सर्वश्रेष्ठ आरंभ काल” मानते हैं।
🌼 पारण में ब्रह्ममुहूर्त का महत्व
- आध्यात्मिक शुद्धि – इस समय वातावरण शांत और पवित्र होता है, जिससे व्रती की साधना और पारण अधिक फलदायी हो जाती है।
- पुण्य में वृद्धि – ब्रह्ममुहूर्त में पारण करने से व्रत का पुण्य अनेक गुना बढ़ जाता है।
- शारीरिक लाभ – इस समय उठकर स्नान, पूजा और अन्न ग्रहण करने से शरीर में ऊर्जा और ताजगी आती है।
- देवकृपा प्राप्ति – भगवान विष्णु के निकटता का समय ब्रह्ममुहूर्त माना गया है, अतः इस समय पारण करने से विष्णु कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- ध्यान और संकल्प की सिद्धि – ब्रह्ममुहूर्त में किया गया संकल्प और पूजा शीघ्र फलदायी होती है।
👉 इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है कि द्वादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर, पूजा करके और गाय को भोजन कराकर व्रत का पारण करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
परिवर्तिनी एकादशी पारण में ब्रह्ममुहूर्त के लाभ और शिक्षा
✅ लाभ (Benefits)
- अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति – ब्रह्ममुहूर्त में पारण करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
- मानसिक शांति – इस समय पारण करने से मन स्थिर और प्रसन्न रहता है।
- शारीरिक लाभ – ब्रह्ममुहूर्त में जागकर स्नान व पारण करने से शरीर में नई ऊर्जा और स्फूर्ति आती है।
- देवकृपा – भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पारिवारिक सुख-समृद्धि – घर-परिवार में शांति, सौहार्द और लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
📖 शिक्षा (Lessons)
- समय का महत्व – सही समय पर किए गए कार्य का फल अधिक मिलता है।
- अनुशासन और संयम – व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि अनुशासन और आत्मनियंत्रण का अभ्यास है।
- साधना का महत्व – प्रातःकालीन समय साधना और ईश्वर-भक्ति के लिए सर्वोत्तम है।
- प्रकृति से सामंजस्य – ब्रह्ममुहूर्त हमें प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीवन जीना सिखाता है।
- सकारात्मक जीवन दृष्टिकोण – जल्दी उठने और पवित्र आचरण से जीवन में सकारात्मकता आती है।
👉 इस प्रकार, परिवर्तिनी एकादशी का पारण यदि ब्रह्ममुहूर्त में किया जाए तो यह न केवल धार्मिक पुण्य देता है, बल्कि अनुशासन, समयपालन और सकारात्मक जीवन जीने की शिक्षा भी प्रदान करता है।
कर्मा एकादशी व्रत की पौराणिक कथा