
नाग पंचमी के दिन नाग को दूध के अलावा और क्या चढ़ाते हैं
आइए समझते हैं कि नाग पंचमी क्या है, इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है, और इस दिन नाग देवता को दूध के अलावा और क्या-क्या अर्पित किया जाता है, साथ ही इसके पीछे के पुराणिक संदर्भ, पूजा की विधि, कथा, और कुछ महत्वपूर्ण मान्यताएँ भी।
🐍 नाग पंचमी – एक विस्तृत विवरण
🔶 नाग पंचमी क्या है?
नाग पंचमी हिन्दू धर्म का एक पवित्र पर्व है जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन सर्पों (नागों) की पूजा के लिए समर्पित होता है। इसे सर्प पूजन दिवस भी कहा जाता है।
🛕 नाग देवता को चढ़ाई जाने वाली चीजें (दूध के अलावा)
वस्तु | महत्व | उपयोग |
---|---|---|
दूध | श्रद्धा का प्रतीक | नाग देवता को दूध चढ़ाया जाता है, लेकिन असली सर्पों को नहीं देना चाहिए |
शहद और घी | मधुरता व शुद्धता | दूध में मिलाकर नाग देवता को अर्पित |
हल्दी-कुमकुम | शुभता के प्रतीक | नाग मूर्ति पर तिलक किया जाता है |
चंदन का लेप | शीतलता और सम्मान | मूर्ति या चित्र पर लगाया जाता है |
नाग चंपा फूल, दूब घास | नागों को प्रिय माने जाते हैं | पूजा के समय अर्पित किए जाते हैं |
सूत (रक्षा सूत्र) | सुरक्षा की भावना | नाग देवता को बांधा जाता है |
धूप, दीप | पूजन की शुद्धता | आरती के समय किया जाता है |
भोग (लड्डू, पूआ, दूध-चावल) | पारंपरिक प्रसाद | पूजन के बाद अर्पण कर प्रसाद बांटा जाता है |
नाग पंचमी के विशेष मंत्र | ऊर्जा और शक्ति का स्रोत | “ॐ नागराजाय नमः”, “ॐ फणिनाथाय नमः” आदि मंत्रों का जाप किया जाता है |
📜 नाग पंचमी की पौराणिक कथा (सारांश)
प्रमुख कथा – अस्तिक मुनि और जनमेजय
पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ किया था, जिसमें सभी सर्पों को आहुत किया जा रहा था। तभी अस्तिक मुनि, जो एक ब्राह्मण और नाग माता मनसा देवी के भक्त थे, आए और उन्होंने जनमेजय को यज्ञ रोकने के लिए मनाया। उनकी विनती पर यज्ञ रोक दिया गया और तभी से नागों की रक्षा और पूजा का विधान बना।
🧘♀️ पूजा विधि (Step-by-Step)
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर में या नाग देवता के मंदिर में नाग देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पूजा स्थल को गोबर, हल्दी और चावल से सजाएं।
- प्रतिमा पर दूध, शहद, चंदन, हल्दी-कुमकुम, फूल, दूब घास, सूत आदि अर्पित करें।
- नाग पंचमी के विशेष मंत्रों का जाप करें।
- आरती करें और भोग चढ़ाएं।
- व्रत रखने वाले दिनभर फलाहार करते हैं और संध्या को पूजा के बाद भोजन करते हैं।
📿 प्रमुख मंत्र
- ॐ नमः सर्पेभ्यः ये के च पृथिव्याम स्थिता:। ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः।।
- ॐ फणिनाथाय नमः।
- ॐ नागराजाय नमः।
- ॐ शेषनागाय नमः।
इन मंत्रों से पूजा का प्रभाव और अधिक शुभ होता है।
🌍 क्षेत्रीय परंपराएं
क्षेत्र | विशेषता |
---|---|
उत्तर भारत | दीवारों पर नाग चित्र बनाकर पूजा की जाती है |
महाराष्ट्र | मिट्टी के नाग बनाकर दूध, लड्डू, फूल चढ़ाए जाते हैं |
बिहार / झारखंड | साँप के बिल में दूध डाला जाता है, व्रत महिलाएँ रखती हैं |
दक्षिण भारत | नाग मंदिरों में विशेष पूजा होती है, विशेष रूप से “नागर कावु” में |
बंगाल | मनसा देवी (सर्प देवी) की पूजा प्रमुख रूप से होती है |
⚠️ ध्यान देने योग्य बातें
- असली सांपों को दूध न पिलाएं – सांप दूध नहीं पीते और इससे उनकी मृत्यु हो सकती है।
- प्रतीकात्मक पूजा करें – मूर्ति, चित्र, या मिट्टी के नाग के माध्यम से पूजन करें।
- प्रकृति संरक्षण का संदेश – यह पर्व हमें जीव-जंतुओं के साथ समन्वय से जीने की सीख देता है।
🧘♂️ नाग पंचमी का आध्यात्मिक महत्व
- यह पर्व कुंडलिनी शक्ति (रीढ़ में स्थित ऊर्जा) को जाग्रत करने का प्रतीक भी माना जाता है।
- नाग को शिव के गले का आभूषण माना जाता है, इसलिए यह पर्व शिव भक्ति से भी जुड़ा हुआ है।
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क्या चढ़ाते हैं
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