
नवरात्र 2025 पारण का दिन और समय
नवरात्रि 2025 का पारण (व्रत तोड़ने) गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को प्रातः 6:15 बजे के बाद किया जाएगा, जब नवमी तिथि समाप्त होकर दशमी तिथि प्रारंभ होगी।
📅 नवरात्रि 2025 का समय सारणी
विजयादशमी (दशहरा): 2 अक्टूबर 2025
आरंभ: 22 सितंबर 2025 (सोमवार)
समाप्ति: 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
पारण विधि
- नवमी तिथि समाप्ति के बाद: पारण का समय नवमी तिथि समाप्त होने के बाद होता है, जो इस वर्ष 2 अक्टूबर को प्रातः 6:15 बजे के बाद है।
- कन्या पूजन: नौ कन्याओं को देवी के रूप में पूजकर उन्हें भोजन कराना और उपहार देना चाहिए।
- हवन: घर में हवन करके वातावरण को शुद्ध करें।
- व्रत तोड़ना: पारण के समय हल्का और सुपाच्य भोजन करें, जैसे खिचड़ी, फल, या दूध।
ध्यान रखने योग्य बातें
- पारण का समय: नवमी तिथि समाप्त होने के बाद ही पारण करें।
- स्वच्छता: पूजन स्थल और घर की स्वच्छता बनाए रखें।
- भोजन: व्रत तोड़ने के बाद हल्का और सुपाच्य भोजन करें।
- कन्या पूजन: कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को शामिल करें।
नवरात्रि पारण का महत्व
- व्रत का समापन और पूर्णता
- नवरात्रि के नौ दिन का उपवास केवल उस समय पूर्ण माना जाता है जब पारण किया जाता है।
- व्रत के दौरान साधना, ध्यान, और भक्ति से मन शुद्ध होता है।
- पारण के बाद भक्त का शरीर और मन दोनों संतुलित और तृप्त महसूस करते हैं।
- देवी दुर्गा की कृपा प्राप्ति
- नवरात्रि के दौरान माता रानी के प्रति समर्पण और भक्ति बढ़ती है।
- पारण के समय कन्या पूजन और भोग अर्पित करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- यह जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
- कन्या पूजन का महत्व
- पारण के समय नौ कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन और उपहार देना शुभ माना जाता है।
- इसे देवी के रूप में पूजने से पाप नाश होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
- कन्या पूजन करने से विशेष रूप से मानसिक शांति और धन-संपत्ति की वृद्धि होती है।
- शारीरिक और मानसिक लाभ
- उपवास के दौरान शरीर को विश्राम और डिटॉक्स का अवसर मिलता है।
- पारण के समय हल्का भोजन करना पाचन तंत्र को संतुलित करता है।
- मानसिक रूप से यह आत्मसंयम, अनुशासन और संयम की शक्ति बढ़ाता है।
- सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
- नवरात्रि पारण भारतीय संस्कृति में धार्मिक एकता और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है।
- यह त्योहार समुदाय को जोड़ता है और परिवार में भाईचारे का संदेश फैलाता है।
- विजयादशमी से जुड़ा आध्यात्मिक महत्व
- नवरात्रि का अंतिम दिन अर्थात दशमी (विजयादशमी) बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- पारण करने के बाद भक्त में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में नई शुरुआत के संकेत मिलते हैं।
निष्कर्ष
नवरात्रि पारण सिर्फ व्रत तोड़ने का समय नहीं, बल्कि यह भक्ति, संयम और आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर है।
इस दिन सही विधि से पारण करने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।