
नवरात्रि पारण कब करें 1 या 2 तारीख को
नवरात्रि पारण (उपवासी व्रत का समापन) का समय तिथि और पंचांग के अनुसार निर्धारित होता है। इस वर्ष, 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) के साथ समाप्त हो रही है।
पारण कब करें: 1 अक्टूबर या 2 अक्टूबर?
नवरात्रि के पारण के लिए उपयुक्त समय दशमी तिथि के समाप्त होने के बाद होता है। दशमी तिथि 1 अक्टूबर को रात 7:01 बजे शुरू होकर 2 अक्टूबर को रात 7:10 बजे समाप्त हो रही है।
सुझाव:
- 2 अक्टूबर, 2025 को विजयादशमी के दिन पारण करना अधिक उपयुक्त रहेगा, क्योंकि यह दशमी तिथि के समाप्ति के बाद का समय है।
- 1 अक्टूबर, 2025 को पारण करना भी वैध है, बशर्ते यह समय दशमी तिथि के समाप्ति के बाद हो।
पारण विधि
- पारण के समय: दशमी तिथि के समाप्ति के बाद का समय उपयुक्त होता है।
- पारण विधि:
- पारंपरिक रूप से, पारण के समय उपवासी को उबला हुआ आलू, फल, या हल्का भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- पारण के बाद, जल का सेवन करके व्रत का समापन करें।
- महत्वपूर्ण बातें:
- पारण के समय में किसी भी प्रकार के नशे से बचें।
- पारण के बाद, देवी-देवताओं का आभार व्यक्त करें और व्रत के पुण्य का लाभ प्राप्त करें।
यदि आप 1 अक्टूबर को पारण करना चाहते हैं, तो सुनिश्चित करें कि यह दशमी तिथि के समाप्ति के बाद का समय हो। अधिकांश लोग 2 अक्टूबर को पारण करना पसंद करते हैं, क्योंकि यह विजयादशमी के दिन होता है और धार्मिक दृष्टि से भी शुभ माना जाता है।
1. नवरात्रि पारण का धार्मिक महत्व
- व्रत पूर्णता –
नवरात्रि का उपवास केवल शारीरिक तपस्या नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का साधन है। पारण के समय उपवास समाप्त करके व्यक्ति अपने भीतर आत्म-नियंत्रण और संयम की शक्ति का अनुभव करता है। - देवी की कृपा प्राप्ति –
नवरात्रि में माता दुर्गा की उपासना की जाती है। पारण करते समय भक्त की सारी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। पारण के समय देवी का धन्यवाद करना शुभ फलदायक माना जाता है। - पुण्य का समापन –
पूरे नौ दिन का व्रत, पूजा और भक्ति के द्वारा अर्जित पुण्य का समापन पारण के समय होता है। यह दिन व्रतियों के लिए आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। - आध्यात्मिक संतुलन –
व्रत के दौरान संयम, त्याग और भक्ति का अभ्यास किया गया है। पारण के समय भोजन ग्रहण करना केवल शारीरिक आवश्यकता पूरी करना नहीं है, बल्कि आत्मा और शरीर के संतुलन का प्रतीक है।
2. विजयादशमी का धार्मिक महत्व
- अच्छाई की बुराई पर विजय –
विजयादशमी को रावण वध और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। यह हमें सिखाता है कि सच्चाई, धर्म और साहस हमेशा जीतते हैं। - सूर्य और शक्ति की पूजा –
इस दिन को देवी दुर्गा और भगवान राम की विजय के रूप में भी देखा जाता है। लोग हथियार और नए उपकरण भी पूजते हैं, ताकि आने वाले कार्य में सफलता प्राप्त हो। - नवाचार और नए कार्य की शुरुआत –
विजयादशमी के दिन नए काम, व्यवसाय या अध्ययन की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। पारण के बाद व्यक्ति अपने जीवन में नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ सकता है।
3. पारण के समय ध्यान रखने योग्य धार्मिक बातें
- साफ-सुथरा स्थान – पारण करते समय पूजा स्थान और भोजन का स्थान साफ और पवित्र हो।
- ध्यान और प्रार्थना – भोजन ग्रहण करने से पहले माता दुर्गा का धन्यवाद और प्रार्थना करें।
- सरल भोजन – हल्का और सात्विक भोजन करें, जैसे फल, दाल, हलवा या उपवास का पारंपरिक भोजन।
- कष्ट निवारण – पारण करने के बाद देवी की भक्ति में कुछ समय ध्यान लगाना, मन को शांति देता है।
संक्षेप में – नवरात्रि पारण केवल उपवास समाप्त करने का समय नहीं है, बल्कि यह आपकी आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करने, देवी की कृपा पाने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का महत्वपूर्ण अवसर है।
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