
“जया एकादशी व्रत कब है?”
🌸 जया एकादशी 2025 – संपूर्ण विवरण
📅 तिथि और समय
- व्रत की तिथि: शनिवार, 8 फरवरी 2025
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 फरवरी 2025, रात 09:26 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 8 फरवरी 2025, शाम 08:15 बजे
- व्रत पारण (तोड़ने का समय): 9 फरवरी 2025, सुबह 07:04 बजे से 09:17 बजे तक
🌼 जया एकादशी का महत्व
- जया एकादशी माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है।
- इसे भीष्म एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि महाभारत के भीष्म पितामह ने इसी दिन देह त्यागा था।
- धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से —
- पाप और दोष नष्ट होते हैं
- पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है
- व्यक्ति को मोक्ष और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है
- जो भी भक्त पूरे नियम और श्रद्धा से व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
🕉️ व्रत की पूजा-विधि
- व्रती को प्रातः स्नान करके संकल्प लेना चाहिए – “मैं जया एकादशी व्रत का पालन करूंगा/करूंगी।”
- भगवान विष्णु का पूजन करें –
- पीले फूल, तुलसी-दल, धूप-दीप और गंगाजल अर्पित करें।
- श्री विष्णु सहस्रनाम अथवा विष्णु स्तुति का पाठ करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- फलाहार या निर्जल उपवास करें –
- यदि संभव हो तो केवल जल ग्रहण करें।
- अन्यथा फलाहार और दूध ले सकते हैं।
- अनाज, चावल, दाल, लहसुन-प्याज आदि का सेवन वर्जित है।
- पूरी रात जागरण करना उत्तम माना जाता है – हरि कीर्तन और भजन करें।
- अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें – प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु को भोग लगाएँ और फिर अन्न ग्रहण करें।
📖 जया एकादशी की कथा
पुराणों में एक कथा आती है –
स्वर्गलोक में एक बार देवताओं का नृत्य-गायन चल रहा था। वहाँ गंधर्व और अप्सराएँ उपस्थित थीं।
उस समय मलयवन नामक गंधर्व और पुष्पवती नामक अप्सरा आपस में मोहित होकर प्रेमालाप करने लगे।
इंद्रदेव को यह अनुचित लगा और उन्होंने क्रोधित होकर उन्हें शाप दिया कि तुम दोनों मृत्युलोक में जाकर पिशाच रूप में रहोगे।
पिशाच योनि में आकर वे अत्यंत दुखी जीवन जीने लगे।
एक बार संयोग से माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी आई और उन्होंने बिना जाने उपवास कर लिया।
भगवान विष्णु की कृपा से उनका पाप नष्ट हुआ और उन्हें फिर से दिव्य स्वरूप प्राप्त हुआ।
इसलिए कहा जाता है कि जया एकादशी व्रत करने से पिशाच और अन्य योनि के भय से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
✅ व्रत के नियम
- व्रत से एक दिन पहले (दशमी) से ही सात्त्विक भोजन करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें और क्रोध, झूठ, हिंसा से दूर रहें।
- व्रत के दिन अनाज, मांस, मदिरा, प्याज-लहसुन का सेवन न करें।
- पूजा में तुलसी-दल और पीले फूल अर्पित करना अनिवार्य है।
- व्रत पूरा होने पर गरीबों को दान दें और भोजन कराएँ।
🌟 लाभ
- पापों का नाश
- पिशाच योनि और भय से मुक्ति
- सौभाग्य, शांति और समृद्धि
- विष्णु लोक की प्राप्ति और मोक्ष