छठ पूजा 2025: सूर्य उपासना का सबसे पवित्र पर्व
छठ पूजा 2025 की तिथि
छठ पूजा 2025 में 26 अक्टूबर (रविवार) से शुरू होकर 29 अक्टूबर (बुधवार) तक चलेगी। यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व है — प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और विधि होती है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा सूर्य देव की उपासना का पर्व है। वैदिक मान्यता के अनुसार सूर्य देव ही जीवन, ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि के दाता हैं। छठी मइया को सूर्य की बहन माना जाता है, जो अपने भक्तों की संतानों की रक्षा करती हैं और संतान सुख प्रदान करती हैं। इस पर्व में व्यक्ति अपने मन, वचन और कर्म से शुद्ध होकर सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करता है।
छठ पूजा की चारों दिन की विधि
1. नहाय-खाय (पहला दिन) – 26 अक्टूबर 2025
इस दिन व्रती स्नान करके घर और रसोई को शुद्ध करती हैं। इसके बाद कद्दू-भात (कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल) बनाकर खाया जाता है। इस भोजन से व्रत की पवित्र शुरुआत होती है।
2. खरना (दूसरा दिन) – 27 अक्टूबर 2025
इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद गंगा जल या किसी पवित्र नदी के जल से स्नान करके प्रसाद बनाती हैं। इस दिन का मुख्य प्रसाद होता है — गुड़ और चावल की खीर (रसीओं) तथा रोटी। खरना के प्रसाद के बाद ही आगामी 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन) – 28 अक्टूबर 2025
इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। महिलाएं सूप में ठेकुआ, फल, दीपक और नारियल रखकर जल में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करती हैं। घाटों पर लाखों भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। यह दृश्य अत्यंत भावनात्मक और अद्भुत होता है।
4. उषा अर्घ्य (चौथा दिन) – 29 अक्टूबर 2025
इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही छठ व्रत का समापन होता है। व्रती अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं। अर्घ्य के बाद व्रतियों का निर्जला उपवास टूटता है और प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
छठ पूजा का आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आत्मसंयम, सादगी, स्वच्छता और सामूहिकता का प्रतीक है। इस पर्व में प्रदूषण रहित पूजा, स्वच्छ वातावरण और जल स्रोतों की पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह पर्व हमें सूर्य जैसे तेजस्वी, निष्काम और जीवनदायी बनने की प्रेरणा देता है।
छठी मइया की कृपा
मान्यता है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से छठी मइया की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से संतान सुख, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन में संतुलन, संयम और श्रद्धा का अद्भुत संगम है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि जब हम प्रकृति, सूर्य और जल का सम्मान करते हैं, तभी सच्ची समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
छठ पूजा के लाभ
छठ पूजा केवल एक धार्मिक व्रत नहीं बल्कि यह एक वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और स्वास्थ्यवर्धक साधना है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में मानसिक, शारीरिक और पारिवारिक सभी प्रकार के लाभ मिलते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं —
1. संतान सुख की प्राप्ति
छठी मइया को संतान देने वाली देवी माना जाता है। जो महिलाएं निःसंतान होती हैं या संतान के सुख की इच्छा रखती हैं, वे श्रद्धा से छठ व्रत करती हैं। ऐसा विश्वास है कि छठी मइया की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है और बच्चों की रक्षा होती है।
2. सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है
सूर्य देव को जीवन, स्वास्थ्य और ऊर्जा का स्रोत माना गया है। जब व्रती जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं, तो शरीर और मन दोनों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सूर्य की किरणों से शरीर में विटामिन D की प्राप्ति होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।
3. मानसिक शांति और आत्मसंयम
छठ व्रत में 36 घंटे तक बिना जल और अन्न के रहना पड़ता है। यह व्रत आत्मसंयम, धैर्य और मानसिक शक्ति का परिचायक है। इससे मन की एकाग्रता बढ़ती है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
4. परिवार में सुख-समृद्धि
छठ पूजा करने वाले परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह पर्व परिवारिक एकता और आपसी प्रेम को भी मजबूत करता है। सभी लोग मिलकर इस व्रत को सफल बनाते हैं, जिससे घर में सकारात्मकता का वातावरण रहता है।
5. रोगों से मुक्ति
छठ व्रत में उपवास, नदी स्नान और सूर्य की किरणों का सेवन शरीर को शुद्ध करता है। इससे त्वचा संबंधी रोग, पाचन की समस्याएं और मानसिक तनाव में लाभ मिलता है। यह एक प्रकार का प्राकृतिक डिटॉक्स है जो शरीर को नई ऊर्जा देता है।
🕉 6. पवित्रता और पर्यावरण संरक्षण
छठ पूजा में स्वच्छता का अत्यधिक महत्व है। नदी, तालाब, घाट और आसपास के क्षेत्रों को साफ किया जाता है। इससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी मिलता है। प्रकृति के प्रति आभार और सम्मान की भावना बढ़ती है।
7. मनोकामना पूर्ति
छठ व्रत को “सत्य व्रत” कहा गया है। जो भी व्यक्ति निष्ठा और श्रद्धा से यह व्रत करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं — चाहे वह संतान की इच्छा हो, आर्थिक उन्नति, स्वास्थ्य या पारिवारिक सुख।
8. आध्यात्मिक उत्थान
यह व्रत आत्मा को शुद्ध करता है। इसमें व्यक्ति अपने अहंकार, इच्छा और भोग से दूर होकर पूर्ण समर्पण की भावना में डूब जाता है। इससे आत्मिक शांति और ईश्वरीय शक्ति का अनुभव होता है।
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