छठ पूजा: व्रत, पर्व और प्रकृति का अद्भुत संगम
1. छठ पूजा का महत्व
- सूर्य देव की उपासना: छठ पूजा सूर्य देव को अर्घ्य देने का पर्व है। सूर्य को जीवनदायिनी ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
- छठी मईया की आराधना: छठी मईया (प्रकृति और शक्ति की देवी) के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है। माना जाता है कि उनकी कृपा से स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार में सुख-शांति आती है।
- प्रकृति के साथ संबंध: यह पूजा नदी, तालाब या किसी स्वच्छ जल स्रोत के किनारे की जाती है, जो प्रकृति के प्रति आस्था और संरक्षण की भावना को दर्शाती है।
2. व्रत और नियम
छठ पूजा का व्रत दो या चार दिन तक चलता है, जिसे आमतौर पर ‘महालय छठ’ या ‘सन्ध्या व्रत’ कहा जाता है। मुख्य नियम इस प्रकार हैं:
- निर्जला व्रत (बिना जल और भोजन): व्रती दो दिन तक भोजन और पानी से परहेज करते हैं।
- साफ-सफाई और शुद्धता: व्रती अपने घर और आसपास के क्षेत्र को पूरी तरह से स्वच्छ रखते हैं।
- विशेष आहार: व्रत के दौरान केवल फल, नारियल, ठंडा पानी और हल्का भोजन लिया जाता है।
- सूर्य देव को अर्घ्य देना: नदी, तालाब या किसी स्वच्छ जलाशय में खड़े होकर सूर्य को जल अर्पित किया जाता है।
- दिवस और संध्या अर्घ्य: छठ के दिन सुबह और सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने की परंपरा है।
3. छठ पूजा के चार दिन
छठ पूजा चार दिनों तक मनाई जाती है, जिनमें हर दिन का महत्व अलग है:
- पहला दिन – नहाय-खाय:
- व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।
- यह दिन व्रती की मानसिक और शारीरिक तैयारी का दिन होता है।
- दूसरा दिन – खरना:
- व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं।
- शाम को खीर, रोटी और फल खा कर व्रत प्रारंभ होता है।
- इसके बाद फिर से निराहार (भोजन और जल से परहेज) शुरू होता है।
- तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य:
- नदी, तालाब या जलाशय में खड़े होकर सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
- इस दिन व्रती विशेष पूजा और गीतों के माध्यम से देवी-देवताओं की स्तुति करते हैं।
- चौथा दिन – उषा अर्घ्य / विसर्जन:
- व्रती सूर्य के उदय के समय अर्घ्य देते हैं।
- व्रत का समापन परम्परागत रूप से प्रसाद वितरण और परिवार के साथ सामूहिक भोजन से होता है।
4. छठ पूजा का सामाजिक और प्राकृतिक पहलू
- सामाजिक एकता: यह पर्व परिवार और समाज को एकजुट करता है। पड़ोसी और समाज के लोग मिलकर तैयारी और पूजा में सहयोग करते हैं।
- प्राकृतिक संरक्षण: जल स्रोतों को साफ रखना, वृक्षों और प्रकृति की रक्षा करना, इस पर्व का अहम हिस्सा है।
- संयम और स्वास्थ्य: निराहार व्रत और प्राकृतिक जीवनशैली अपनाने से शरीर को मानसिक और शारीरिक लाभ होता है।
5. पूजा की खास विशेषताएँ
- छठ पूजा में सूर्य और प्रकृति की आराधना के माध्यम से मानव जीवन में ऊर्जा और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- इसे अनुष्ठान, गीत, व्रत और जल अर्पण के माध्यम से मनाया जाता है।
- पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तीनों दृष्टियों से यह पर्व अद्वितीय है।
6. निष्कर्ष
छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह प्रकृति, स्वास्थ्य, समाज और आस्था का संगम है। व्रती की तपस्या और श्रद्धा से व्यक्ति और समाज दोनों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि छठ पूजा सदियों से लोगों के जीवन में जीवंत रूप से प्रचलित है।
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