छठी मैया का पहला अर्ग का शुभ मुहूर्त
तारीख एवं समय
- इस वर्ष छठ पूजा का संध्या-अर्घ्य दिन है 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार)।
- इस दिन सूर्यास्त का समय लगभग शाम 5:40 बजे है।
- अन्य स्रोतों के अनुसार संध्या अर्घ्य अवधि “शाम 3:10 से शाम 4:56 तक” बताई गई है।
क्या होता है “पहला अर्घ्य”?
- छठ पूजा चार दिन चलता है:
- नहाय-खाय
- खरना
- संध्या अर्घ्य (पहला अर्घ्य)
- प्रातः-उषा अर्घ्य (दूसरा अर्घ्य)
- इस तीसरे दिन व्रती (व्रतकर्ता) दिन भर निर्जला व्रत रखते हैं और शाम के समय घाट (नदी/तालाब) या जलाशय किनारे डूबते सूर्य को अर्घ्य (जल अर्पण) देते हैं।
- इस अर्घ्य के समय श्रद्धालु दिव्य प्रकाश, सूर्यलोक तथा देवी-देवताओं की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।
महत्व व सुझाव
- इस दिन सूर्य देव तथा छठी मइया की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
- स्थान एवं समय-अनुसार स्थानीय पंचांग व घाट का देखना आवश्यक है क्योंकि क्षेत्रीय समय थोड़ा अलग हो सकता है।
- घाट पर जाते समय साफ-सफाई, शांतिपूर्ण माहौल एवं सांध्यान्तर सूर्य देखते समय अर्घ्य देने का ध्यान रखें।
- उपयुक्त जल-भोग, सूप, फल-प्रसाद आदि पहले से तैयार रखें ताकि समय सीमा में अर्घ्य अर्पित हो सके।
लाभ:
- स्वास्थ्य लाभ
- व्रत, उपवास और स्वच्छ जल में स्नान करने से शरीर शुद्ध होता है।
- फल, सूप और शुद्ध जल ग्रहण करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
- मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ
- व्रत से मन की एकाग्रता बढ़ती है।
- सूर्य देव की आराधना और नदी किनारे ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है।
- नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- परिवारिक और सामाजिक लाभ
- परिवार के सभी सदस्य मिलकर पूजा करने से संबंध मजबूत होते हैं।
- समाज में सम्मान और धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
- आर्थिक एवं धार्मिक लाभ
- सूर्य देव और छठी मइया की कृपा से व्यवसाय, नौकरी और कृषि कार्य में सफलता मिलती है।
- घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
छठ पूजा की विधि
छठ पूजा चार दिन की होती है: नहाय‑खाय, खरना, संध्या अर्घ्य (पहला अर्घ्य), प्रातःकालीन अर्घ्य (दूसरा अर्घ्य)।
1 नहाय‑खाय (पहला दिन)
- व्रती नहाते हैं और स्वच्छ घर में शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।
- मुख्य भोजन: दाल, चावल और शुद्ध घी से बना भोजन।
- सभी अनाज और खाने की चीज़ें शुद्ध और सात्विक होनी चाहिए।
2 खरना (दूसरा दिन)
- व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को खीर या रोटी‑शक्कर का भोग ग्रहण करते हैं।
- इस दिन से शुद्ध आहार का पालन करना शुरू होता है।
3 संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन, पहला अर्घ्य)
विधि:
- नदी, तालाब या जलाशय के किनारे साफ जगह चुनें।
- घाट को साफ करें और पूजा सामग्री (सूप, फल, कद्दू, ठेकुआ आदि) रखें।
- व्रती सूर्यास्त से पहले घाट पर पहुंचते हैं।
- व्रती शुद्ध जल में स्नान कर सूर्य की ओर मुख करके खड़े होते हैं।
- हाथ में सूप लेकर सूर्य देव और छठी मइया को अर्घ्य देते हैं।
- अर्घ्य देने के बाद, मंत्र जाप या मौन ध्यान किया जाता है।
- अर्घ्य देने के बाद घर लौटते समय किसी भी प्रकार का मांसाहार या शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
सुझाव:
- घाट पर जाने से पहले सभी प्रसाद और फल अच्छे से व्यवस्थित रखें।
- सूर्य को सीधे देखने का प्रयास करें।
- इस दिन व्रती निर्जला व्रत रखते हैं।
4 प्रातःकालीन अर्घ्य (चौथा दिन, दूसरा अर्घ्य)
विधि:
- सूर्योदय से कुछ समय पहले घाट पर पहुँचें।
- सूर्य उदय के समय, हाथ में सूप लेकर अर्घ्य दें।
- व्रती सूर्य के पहले किरण से अपनी आँखें मिलाकर ध्यान करते हैं।
- अर्घ्य देने के बाद व्रती घर लौटते हैं और हल्का भोजन ग्रहण करते हैं।
लाभ:
- प्रातः अर्घ्य से घर और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- सूर्य देव और छठी मइया की कृपा से स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
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छठी मैया का पहला अर्ग का शुभ मुहूर्त
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