घर पर स्कंद षष्ठी पूजा कैसे करें
स्कंद षष्ठी पूजा का महत्व
- यह पूजा विशेष रूप से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है।
- इसे मुख्यतः माँ पार्वती और भगवान शिव के पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित किया जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार, यह पूजा सौभाग्य, बुद्धि, वीरता और संतान सुख प्रदान करती है।
पूजा की तैयारी
सामग्री
- स्वच्छ हरा वस्त्र और पूजा का स्थान
- छोटा या बड़ा मूर्ति/चित्र भगवान कार्तिकेय का
- पूजा की थाली (कुंकुम, हल्दी, चंदन, अक्षत/चावल)
- दीपक और घी/तेल
- लाल फूल (गुलाब, पुष्पकमल या जो उपलब्ध हो)
- धूप, अगरबत्ती
- नैवेद्य के लिए:
- मोदक, मिठाई, दूध, फल
- हलवा या किसी तरह की प्रसाद सामग्री
- पवित्र जल (गंगाजल या साफ पानी)
- बेलपत्र या तुलसी के पत्ते (यदि उपलब्ध हो तो)
पूजा की विधि
1. स्थान की सफाई
- पूजा स्थल और घर को साफ करें।
- कमरे में सुगंधित धूप और दीपक जलाएं।
- अगर हो सके तो हवन कुंड भी रखें।
2. भगवान की स्थापना
- मूर्ति या चित्र को साफ कपड़े पर रखें।
- उनके सामने दीपक, धूप और नैवेद्य की थाली रखें।
3. आवाहन
- हाथ जोड़कर भगवान कार्तिकेय का आवाहन करें।
- मंत्र (उच्चारण के साथ):
ॐ कार्तिकेयाय नमः - या आप शुद्ध मन से अपने शब्दों में प्रार्थना कर सकते हैं।
4. पूजा क्रिया
- अक्षत और जल अर्पण – भगवान को अक्षत (चावल) और जल अर्पित करें।
- चंदन और हल्दी – मूर्ति पर हल्का चंदन और हल्दी लगाएं।
- फूल अर्पण – लाल या पीले फूल चढ़ाएं।
- दीपक और धूप – दीपक जलाकर भगवान के सामने रखें और घुमाएं।
- नैवेद्य अर्पण – मिठाई, फल और दूध अर्पित करें।
- भजन/कीर्तन – अगर संभव हो तो स्कंद शास्त्र या भगवान कार्तिकेय के भजन गाएं।
- प्रसाद वितरण – पूजा के अंत में प्रसाद घर के सभी सदस्यों में वितरित करें।
5. विशेष उपाय
- सुबह सूर्योदय से पहले करना शुभ माना जाता है।
- अगर संभव हो तो व्रत करें और दिनभर हल्का भोजन करें।
- बच्चों के कल्याण के लिए माता-पिता विशेष रूप से ध्यान दें।
पूजा के बाद
- मूर्ति/चित्र को साफ कपड़े से ढक दें।
- घर और परिवार में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करें।
- इस दिन भगवान कार्तिकेय की कहानी पढ़ना या सुनाना भी शुभ है।
1. लाभ का सामान्य अर्थ
साधारण शब्दों में, लाभ का अर्थ होता है फायदा, प्राप्ति या किसी कार्य से होने वाला सकारात्मक परिणाम।
- यह आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक और धार्मिक सभी प्रकार के हो सकते हैं।
- लाभ का विरोध हानि (नुकसान) है।
2. लाभ के प्रकार
(A) आर्थिक लाभ
- धन, संपत्ति, या किसी व्यापारिक निवेश से प्राप्त लाभ।
- उदाहरण: व्यापार में मुनाफा, बैंक में जमा राशि पर ब्याज, शेयर बाजार में लाभ।
(B) सामाजिक लाभ
- समाज या परिवार में प्रतिष्ठा, सम्मान और मान्यता।
- उदाहरण: किसी की मदद करने पर समाज में सन्मान मिलना।
(C) मानसिक और शारीरिक लाभ
- स्वास्थ्य, खुशी, मानसिक शांति, संतोष और ऊर्जा में वृद्धि।
- उदाहरण: योग या ध्यान करने से मानसिक शांति और तनाव मुक्त जीवन।
(D) आध्यात्मिक लाभ
- धर्म, पूजा और नैतिकता से प्राप्त लाभ।
- उदाहरण: किसी पुण्य कार्य (दान, उपासना, सेवा) से आत्मिक संतोष और मोक्ष।
3. लाभ का महत्व
- जीवन में उद्देश्य
- लाभ हमें कार्य करने की प्रेरणा देता है।
- यह संकेत करता है कि कौन-सा काम हमारे लिए फायदेमंद है।
- सकारात्मकता बढ़ाता है
- लाभ का अनुभव सकारात्मकता और उत्साह बढ़ाता है।
- मनुष्य को मेहनत और प्रयास के लिए प्रेरित करता है।
- संतुलन बनाए रखना
- केवल आर्थिक या भौतिक लाभ की लालसा कभी-कभी हानि और तनाव ला सकती है।
- इसलिए लाभ का मूल्यांकन लाभ/हानि संतुलन से करना चाहिए।
4. लाभ प्राप्त करने के उपाय (हिन्दू दृष्टिकोण)
- सत्कर्म करना
- दान, सेवा, और सत्य बोलने से लाभ मिलता है।
- संतोष और संयम
- जो वस्तु उपलब्ध है उसका संतोष करना और लालच से बचना।
- ध्यान और पूजा
- धार्मिक और आध्यात्मिक क्रियाओं से मानसिक और आत्मिक लाभ होता है।
- उदाहरण: व्रत, उपवास, यज्ञ और देवपूजा।
- सकारात्मक सोच और मेहनत
- कर्मठता और बुद्धिमानी से कार्य करना आर्थिक और सामाजिक लाभ देता है।
5. लाभ और हानि का संबंध
- हर कार्य में लाभ और हानि दोनों की संभावना होती है।
- सही निर्णय और सोच से हानि को कम करके लाभ बढ़ाया जा सकता है।
- शास्त्रों में कहा गया है: “सत्प्रयत्न और ईश्वर भक्ति से लाभ की प्राप्ति होती है।”
6. लाभ के प्रतीक और उपाय (हिन्दू मान्यता)
- गाय और गाय का दूध – स्वास्थ्य लाभ।
- सूर्य पूजा – जीवन में ऊर्जा और सफलता का लाभ।
- धन या लक्ष्मी व्रत – आर्थिक लाभ और संपत्ति में वृद्धि।
- संतों और गुरुओं से ज्ञान प्राप्त करना – मानसिक और आध्यात्मिक लाभ।
सूर्य देव को जल अर्पण करने का शुभ समय
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घर पर स्कंद षष्ठी पूजा कैसे करें
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