
भगवान गणेश के 108 नाम (अष्टोत्तरशतनामावली) हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये नाम गणेश जी के विभिन्न गुणों, रूपों और कार्यों को दर्शाते हैं। इनका जप करने से भक्तों को बुद्धि, समृद्धि और सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
गणेश जी के 108 नाम और उनका संक्षिप्त महत्व:
- विनायक – बाधाओं को दूर करने वाले।
- गणेश – गणों के स्वामी।
- गजानन – हाथी के मुख वाले।
- एकदंत – एक दांत वाले।
- हेरम्ब – माता पार्वती के प्रिय पुत्र।
- लम्बोदर – बड़े उदर वाले।
- विघ्नहर्ता – विघ्नों का नाश करने वाले।
- विघ्नराज – बाधाओं के अधिपति।
- सुमुख – सुंदर मुख वाले।
- द्वैमातुर – दो माताओं (पार्वती और गंगा) के पुत्र।
(11-20)
- बालचंद्र – चंद्रमा को धारण करने वाले।
- गजकर्णक – हाथी के कान वाले।
- गजवक्त्र – हाथी के मुख वाले।
- कपिल – पीले रंग के स्वामी।
- कृतिन – तेजस्वी।
- शूर्पकर्ण – चौड़े कान वाले।
- हेरम्ब – माता के प्रिय।
- स्कंदाग्रज – भगवान कार्तिकेय के बड़े भाई।
- अव्यय – अविनाशी।
- पाशांकुशधर – पाश और अंकुश धारण करने वाले।
(21-30)
- मूषकवाहन – चूहे की सवारी करने वाले।
- मोदकप्रिय – मोदक प्रिय हैं जिन्हें।
- ओमकार – ॐ के स्वरूप।
- प्रथमपूज्य – सर्वप्रथम पूज्य।
- पिताम्बर – पीले वस्त्र धारण करने वाले।
- गुणातीत – गुणों से परे।
- निधि – समृद्धि के दाता।
- सिद्धिदाता – सिद्धियाँ प्रदान करने वाले।
- सिद्धिविनायक – सिद्धियों के दाता।
- वरद – वर देने वाले।
(31-40)
- शांतिदाता – शांति प्रदान करने वाले।
- ब्रह्मचारी – ब्रह्मचर्य के प्रतीक।
- विश्वरूप – समस्त विश्व के स्वरूप।
- विराट – विशाल स्वरूप वाले।
- योगाध्यक्ष – योग के अधिपति।
- क्षिप्रप्रसाद – शीघ्र प्रसन्न होने वाले।
- उदार – उदारता की मूर्ति।
- श्रीकांत – लक्ष्मी के पति।
- सुरेश – देवताओं के स्वामी।
- सुरारिघ्न – दैत्यों का नाश करने वाले।
(41-50)
- सिद्धेश – सिद्धियों के ईश्वर।
- महागणपति – महान गणों के अधिपति।
- वागीश – वाणी के स्वामी।
- सर्वसिद्धिप्रद – सभी सिद्धियाँ देने वाले।
- दुर्जय – जिन्हें जीता न जा सके।
- दुर्धर – जिन्हें धारण करना कठिन हो।
- देवाधिदेव – देवों के भी देवता।
- प्रमाणभूत – सत्य के प्रमाण।
- भूतिद – समृद्धि देने वाले।
- शुभांग – शुभ रूप वाले।
(51-60)
- हरिद्राभ – हल्दी जैसे रंग वाले।
- ब्रह्मवित् – ब्रह्मज्ञानी।
- ब्रह्मण्य – ब्रह्म के भक्त।
- प्रजापति – प्रजा के पालक।
- हृष्ट – प्रसन्नचित्त।
- तुष्ट – संतुष्ट।
- प्रह्लादक – आनंद देने वाले।
- नैक – अद्वितीय।
- स्थिर – अटल।
- अज – अजन्मा।
(61-70)
- देव – दिव्य स्वरूप।
- विश्वमूर्ति – विश्व के स्वरूप।
- अमोघ – जिनका वरदान व्यर्थ न जाए।
- पाशहस्त – पाश धारण करने वाले।
- एकाक्षर – ॐ के स्वरूप।
- सत् – सत्य स्वरूप।
- चित् – चेतना स्वरूप।
- सुखद – सुख देने वाले।
- सर्वग – सर्वव्यापी।
- सर्वविद् – सब कुछ जानने वाले।
(71-80)
- सर्वात्मा – सभी के आत्मा।
- सर्वभूतात्मा – समस्त प्राणियों के अंतःकरण में विराजमान।
- सर्वयोगी – समस्त योगियों के आदर्श।
- धर्मिक – धर्म के पालक।
- धर्मगुप्त – धर्म की रक्षा करने वाले।
- धर्मकृत् – धर्म का आचरण करने वाले।
- धनद – धन के दाता।
- धर्मिष्ठ – धर्म में स्थित।
- शुद्ध – पवित्र।
- सत्त्व – सात्विक गुणों के स्वामी।
(81-90)
- शांत – शांत स्वभाव वाले।
- ब्रह्म – परब्रह्म स्वरूप।
- ब्राह्मण – वेदों के ज्ञाता।
- ब्रह्मज्ञ – ब्रह्म को जानने वाले।
- ब्रह्मवादी – ब्रह्म का उपदेश देने वाले।
- नित्य – अनादि-अनंत।
- शुद्धात्मा – पवित्र आत्मा वाले।
- सिद्ध – सिद्धियों से युक्त।
- सिद्धेश्वर – सिद्धियों के ईश्वर।
- योगी – योग के प्रतीक।
(91-100)
- योगगम्य – योग से प्राप्त होने वाले।
- योगीश – योगियों के स्वामी।
- महात्मा – महान आत्मा वाले।
- महाकाल – काल के अधिपति।
- महाबुद्धि – अत्यंत बुद्धिमान।
- महावीर – महान वीर।
- महायोगी – महान योगी।
- महाधन – महान धन के स्वामी।
- अनंत – अनंत गुणों वाले।
- अच्युत – अविनाशी।
(101-108)
- गोविंद – इंद्रियों के स्वामी।
- गोपति – गोपों (इंद्रियों) के अधिपति।
- गुरु – सभी के गुरु।
- सर्वदेवमय – सभी देवताओं के स्वरूप।
- सर्वात्मक – सभी में व्याप्त।
- सर्वमंगल – सभी मंगलों के दाता।
- शिवस्वरूप – शिव के समान।
- शिवप्रिय – शिव के प्रिय।
महत्व:
- इन 108 नामों का पाठ करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- बुद्धि, धन और सुख की प्राप्ति होती है।
- विशेषकर गणेश चतुर्थी और अन्य शुभ अवसरों पर इन नामों का जप किया जाता है।
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