कार्तिक स्नान में क्या दान नहीं करना चाहिए
कार्तिक स्नान में क्या दान नहीं करना चाहिए — विस्तार से
1. तेल (विशेषकर तिल का तेल)
- कार्तिक मास में भगवान विष्णु शयनावस्था में होते हैं, और इस महीने में तेल का उपयोग या दान करना वर्जित माना गया है।
- तेल दान करने से पितृदोष और आर्थिक कष्ट बढ़ने की संभावना बताई गई है।
- इस महीने में तेल से दीपक नहीं जलाना चाहिए; इसके स्थान पर घी का दीपक जलाना शुभ होता है।
2. कंबल, ऊनी वस्त्र या चमड़े की वस्तुएँ
- यह दान शीत ऋतु में तो उपयोगी लगता है, परंतु कार्तिक में इसका दान तपस्या के प्रभाव को नष्ट करता है।
- कार्तिक व्रत एक प्रकार का संयम और तप है; इसलिए विलास या आराम देने वाली वस्तुएँ दान में नहीं दी जातीं।
- यदि किसी को सचमुच आवश्यकता हो, तो यह दान मार्गशीर्ष मास से करना शुभ माना गया है।
3. लोहे, तांबे या स्टील के बर्तन
- गरुड़ पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, कार्तिक स्नान में लोहे, तांबे या स्टील के बर्तन दान करने से कर्मफल में बाधा आती है।
- इस मास में मिट्टी, कांसे या पीतल के बर्तन का उपयोग और दान शुभ होता है।
4. मांस, मछली या मद्य (शराब)
- यह स्पष्ट रूप से निषिद्ध है। कार्तिक मास में इन चीज़ों का सेवन तो दूर, दान भी महापाप माना गया है।
- ऐसा करने से भगवान विष्णु का अनादर होता है और व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
5. काले रंग के वस्त्र या वस्तुएँ
- कार्तिक मास को सात्त्विकता और शुद्धता का प्रतीक माना गया है।
- काला रंग तमोगुण और आलस्य का द्योतक है, इसलिए इस मास में काले कपड़े पहनना या दान करना अनुचित है।
- इसके बजाय सफेद, पीले या हल्के रंग के कपड़े दान करना उत्तम है।
6. जूते, चप्पल या चमड़े की वस्तुएँ
- चमड़ा हिंसा और अशुद्धता से जुड़ा होता है, इसलिए कार्तिक मास में इसका दान निषिद्ध है।
- यह महीने पूरी तरह अहिंसा और पवित्रता का प्रतीक है।
7. नमक या तीखे मसाले
- कार्तिक में व्रत करने वाले लोग प्रायः नमक रहित या सात्त्विक भोजन करते हैं।
- नमक, मिर्च, प्याज, लहसुन जैसी वस्तुएँ दान करने से व्रत का प्रभाव घटता है।
- इसके स्थान पर फल, तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र, दीपक या तुलसी का दान शुभ होता है।
8. सोने-चाँदी के आभूषण (यदि दिखावे के लिए हों)
- यदि कोई व्यक्ति दिखावे या अभिमान से आभूषण दान करता है, तो उसका पुण्य नष्ट हो जाता है।
- कार्तिक मास में दान का मूल उद्देश्य निःस्वार्थ सेवा होना चाहिए।
कार्तिक मास में क्या दान करना चाहिए (शुभ दान)
- घी या दीपक (विशेषकर तुलसी के पास)
- तिल, गुड़, अन्न, फल
- कंबल (जरूरतमंद को, मासांत में)
- गाय, भूमि या स्वर्ण (यदि सामर्थ्य हो)
- तुलसी पौधा
- जलपात्र, दीपदान, पात्रों को भोजन
निष्कर्ष
कार्तिक मास संयम, श्रद्धा और सात्त्विकता का पर्व है।
इस महीने में दान तभी फलदायक होता है जब वह शुद्ध भाव और नियमपूर्वक किया जाए।
अतः जो वस्तुएँ रजोगुण या तमोगुण को बढ़ाती हैं — जैसे तेल, मांस, शराब, काले वस्त्र, नमक आदि — उनका दान नहीं करना चाहिए।
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