
करवा चौथ 2025 सरगी खाने का समय
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत की शुरुआत सरगी से होती है, जो इस पर्व का सबसे पवित्र और भावनात्मक हिस्सा माना जाता है।
🌙 सरगी क्या होती है?
सरगी वह भोजन है जो सास अपनी बहू को करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले खाने के लिए देती हैं। इसे “प्रातःकालीन प्रसाद” कहा जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि सास-बहू के प्रेम और रिश्ते की मिठास को भी दर्शाती है।
🕕 करवा चौथ 2025 सरगी खाने का शुभ समय
तिथि: शनिवार, 11 अक्टूबर 2025
सरगी खाने का मुहूर्त:
- ब्रहम मुहूर्त प्रारंभ: प्रातः 04:45 बजे (लगभग)
- सूर्योदय का समय: प्रातः 06:20 बजे (लगभग)
- सरगी खाने का शुभ समय: 04:45 बजे से 06:10 बजे तक
इस समय के बाद सरगी नहीं खानी चाहिए, क्योंकि सूर्योदय के साथ ही व्रत की शुरुआत मानी जाती है।
🌼 सरगी में क्या खाना चाहिए?
सरगी में हल्के और ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं ताकि दिनभर उपवास में शक्ति बनी रहे। सामान्यतः सरगी में ये चीज़ें होती हैं —
- सूखे मेवे (बादाम, काजू, पिस्ता, किशमिश)
- फलों का सेवन (केला, सेब, पपीता आदि)
- सेवइयाँ या मीठा हलवा
- परांठा या हल्का फुल्का भोजन
- चाय या दूध
- नारियल और पानी
🚫 सरगी में क्या नहीं खाना चाहिए:
- नमकीन और तैलीय चीज़ें अधिक मात्रा में न खाएं
- बहुत ठंडे या बहुत गरम खाद्य पदार्थ से बचें
- मिर्च-मसालेदार भोजन न लें, क्योंकि यह दिनभर प्यास बढ़ाता है
💫 सरगी खाने के नियम और विधि:
- सरगी हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके खानी चाहिए।
- खाने से पहले करवा माता और चंद्रदेव का ध्यान करें।
- सास द्वारा दी गई सरगी को आशीर्वाद स्वरूप ग्रहण करें।
- यदि सास न हों तो मां, ननद या कोई बड़ी महिला रिश्तेदार भी सरगी दे सकती हैं।
- सरगी खाने के बाद पूरे दिन निर्जला (बिना पानी) व्रत रखा जाता है।
🌕 व्रत खोलने का समय (चंद्रोदय)
2025 में करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय लगभग रात 08:26 बजे रहेगा।
चंद्रमा के दर्शन के बाद महिलाएं अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत खोलती हैं।
🕊️ धार्मिक महत्व:
सरगी का सेवन केवल भोजन नहीं बल्कि व्रत की आध्यात्मिक तैयारी है। यह शुद्ध मन, आत्म-नियंत्रण और परिवार के प्रति प्रेम का प्रतीक है। सास द्वारा दी गई सरगी में उनके आशीर्वाद का भाव छिपा होता है, जिससे व्रत सफल और पूर्ण माना जाता है।
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