उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि
उत्पन्ना एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और देवी एकादशी को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-शांति आती है और पापों का नाश होता है। नीचे दी गई है इसकी संपूर्ण पूजा-विधि 👇
🪔 व्रत से एक दिन पहले (दशमी तिथि)
- दशमी तिथि की रात हल्का सात्त्विक भोजन करें।
- तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मद्य) का त्याग करें।
- मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहने का संकल्प लें।
🌼 व्रत वाले दिन (एकादशी तिथि)
- प्रातः काल स्नान करें:
स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें। - संकल्प लें:
भगवान विष्णु का ध्यान कर कहें —
“मैं श्रीहरि विष्णु की प्रसन्नता के लिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का संकल्प करता/करती हूँ।” - पूजन विधि:
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- पीले फूल, तुलसी दल, धूप और नैवेद्य अर्पित करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
- श्री विष्णु सहस्रनाम या गीता का पाठ करें।
- उपवास नियम:
- पूरा दिन अन्न का त्याग करें (फलाहार या निर्जला व्रत रख सकते हैं)।
- झूठ, क्रोध, चुगली और हिंसा से बचें।
🌞 द्वादशी तिथि पर पारणा (व्रत खोलना)
- अगले दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
- पूजा के बाद दान दें — अन्न, वस्त्र, या धन जरूरतमंद को दें।
- पारणा का शुभ समय पंचांग अनुसार करें (2025 में 16 नवंबर को सुबह)।
🌸 व्रत का फल
- इस व्रत से हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है।
- पाप नष्ट होकर आत्मा शुद्ध होती है।
- भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि
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