उत्पन्ना एकादशी कब है
तिथि (दिनाँक)
- इस वर्ष (2025) में उत्पन्ना एकादशी शनिवार, 15 नवंबर 2025 को है।
- तिथि आरंभ: 15 नवंबर 2025 को 00:49 AM (लगभग)
- तिथि समाप्ति: 16 नवंबर 2025 को 02:37 AM (लगभग)
- पारणा (उपवास तोड़ने) का शुभ समय अलग-अलग पंचाङ्कों में अलग है; उदाहरण के लिए कुछ स्रोतों में 16 नवंबर को सुबह ~06:15 AM-08:30 AM का समय दिया गया है।
नोट: स्थान (जिला, राज्य) के अनुसार थोड़ा-बहुत समय भिन्न हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग अवश्य देखें।
2. नाम एवं महत्व
- “उत्पन्ना” अथवा “उत्पन्ना एकादशी” का नाम संस्कृत शब्द “उत्पन्न” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “उत्पत्ति”, “उत्पन्न होना”। इस दिन को माना जाता है कि एकादशी (देवी) उत्पन्न हुई थीं।
- यह व्रत विशेष रूप से माना जाता है क्योंकि यह वर्ष में पहले आने-वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी में से एक है (मास: मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष)।
- इस दिन का प्रमुख उद्देश्य है: पापों से मुक्ति, आध्यात्मिक उन्नति, भगवान विष्णु तथा देवी एकादशी की आराधना।
3. पौराणिक कथा
- पुराणों के अनुसार, एकादशी देवी (एकादशी माता) भगवान विष्णु की योगमाया से उत्पन्न हुई थीं, एक दानव “मुरासुर” को मारने के लिए। इस प्रकार उन्होंने अधर्म पर धर्म की विजय सुनिश्चित की।
- कथा में बताया गया है कि भगवान विष्णु शयनावस्था में थे, तब मुरासुर ने उन पर आक्रमण करना चाहा, तब एकादशी माता ने उत्पन्न होकर उसे वध किया।
4. व्रत का विधान और नियम
- व्रती सुबह संकल्प लें कि वे इस एकादशी का व्रत कर रहे हैं।
- दिन भर शुद्धता बनाए रखें — अन्न, शुद्ध मन, शुद्ध वातावरण। भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करें।
- दान-धर्म का विशेष महत्व है: इस दिन दान देने से पुण्य बहुत अधिक होता है।
- पारणा (उपवास टूटने) का समय स्थानीय पंचांगानुसार सुनिश्चित करें।
5. क्या-क्या करें / क्या न करें
करें:
- सुबह स्नान करें, भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- शुद्ध भोजन लें (यदि उपवास पूरा नहीं कर रहे हैं) — विशेष प्रकार का असर माना गया है।
- दान-व्रत करें: भोजन, कपड़ा, वस्त्र आदि जरूरतमंद को दें।
न करें:
- पापजन्य कर्म से बचें — जैसे झूठ बोलना, चोरी करना, हिंसा करना।
- यदि उपवास रखा है, तो व्रत के नियमों का पालन करें — अनियमितता से फल कम हो सकते हैं।
6. व्रत का फल एवं आध्यात्मिक लाभ
- ऐसा कहा गया है कि इस व्रत द्वारा पूर्वजों के पाप भी दूर होते हैं तथा मोक्ष-मार्ग में सहायक होता है।
- उपवास रखने वाले को हजारों यज्ञ करने जितना पुण्य प्राप्त होता है।
- शुद्ध अवस्था में इस व्रत से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और भगवान विष्णु की कृपा मिलने की मन्यता है।
7. विशेष बातें
- दक्षिण भारत और उत्तर भारत में मास का नाम व तिथि-समय में थोड़ी भिन्नता हो सकती है — जैसे मास “मार्गशीर्ष” (उत्तर भारत) या “कार्तिक/कृतिका” (दक्षिण) में माना जाता है।
- इस व्रत को “व्रत शुरू करने का दिन” माना जाता है — जो व्यक्ति पहली बार एकादशी उपवास करना चाहे, उसे इस दिन से आरंभ करना शुभ माना गया है।
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