उत्पन्ना एकादशी कब और कैसे करें? पूर्ण विधि और पूजा विधान
1. तिथि एवं समय
- यह व्रत मास के कृष्ण‑पक्ष की एकादशी को आता है, विशेष रूप से मार्गशीर्ष मास में।
- वर्ष 2025 में, उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर 2025 को है।
- पारणा (व्रत खोलने) का शुभ मुहूर्त 16 नवंबर 2025 को निर्धारित है।
2. महत्व एवं कथा
- इस एकादशी को इसलिए विशेष माना जाता है क्योंकि यह “एकादशी व्रत” के आरंभ का स्वरूप है — माना जाता है कि इस दिन देवी एकादशी माता का जन्म हुआ।
- कथा के अनुसार, एक राक्षस मुरासुर ने देवताओं को परेशान किया। देवताओं ने विष्णु की सहायता मांगी। एकादशी माता ने उस राक्षस का वध किया। इस कारण व्रत का महात्म्य है।
- इसके पालन से पापों का नाश, मोक्ष प्राप्ति आदि अपेक्षित हैं।
3. व्रत का विधिपूर्वक पालन
(क) प्रारम्भ
- व्रत का संकल्प: सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, साफ़ कपड़े धारण करें।
- इस दिन सुबह स्नान‑वस्त्र परिधान के बाद व्रत का संकल्प लें कि आप इस एकादशी व्रत को श्रद्धा एवं भक्ति से करेंगे।
(ख) व्रत प्रकार
- व्रत विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है (स्वास्थ्य तथा सामर्थ्य अनुयायी):
- निर्जला व्रत (जल व भोजन दोनों से परहेज)।
- फलाहारी व्रत (फल, सूखे मेवे, दूध आदि).
- एक बार भोजन सहित व्रत (नक्तभोजी) जिसमें अनाज, दालें आदि से परहेज।
(ग) पूजा‑विधान
- पूजा‑स्थान स्वच्छ करें, भगवान विष्णु, तुलसी मालाएं, पुष्प, रोली‑अक्षत तैयार रखें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो पर गंगाजल आदि से प्रक्षालन करें, फिर दीप, पुष्प, धूप‑अगरबत्ती अर्पित करें।
- तुलसी की पत्तियाँ अर्पित करें क्योंकि विष्णु पूजन में तुलसी महत्वपूर्ण है।
- मंत्र जप एवं पाठ करें, जैसे ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’, या विष्णु सहस्रनाम का पाठ।
- कथा सुनना अत्यन्त शुभ माना जाता है — व्रत कथा में एकादशी माता तथा मुरासुर की कथा सुनें।
- आरती करें, भक्ति‑संगीत करें, रात जागरण करें यदि संभव हो।
(घ) दान‑सेवा
- व्रत के दिन ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, अनाज या अन्य दान करना बेहद पुण्यकारी है।
- इससे व्रत के फल और भी बढ़ जाते हैं।
(ङ) पारणा (व्रत खुलना)
- एकादशी का व्रत अगले दिन द्वादशी तिथि में पारणा किया जाता है।
- पराणा का शुभ समय देखें, इस वर्ष 2025 के लिए 16 नवंबर को निर्धारित है।
4. व्रत अवधि में का ध्यान रखने योग्य बातें
- व्रत के दौरान अनाज, दालें, चावल‑गेहूँ आदि का त्याग करें।
- शराब, मांसाहार, अशुद्ध आहार, आलस्य, झूठ, क्रोध आदि से परहेज करें।
- रात में जागरण करें या कम‑से‑कम ध्यान‑भजन करें।
- दिन भर श्री विष्णु का ध्यान रखें तथा मन को शांत एवं संयमित रखें।
5. व्रत के लाभ
हनुमान जी की पूजा से जीवन में शांति और सुख
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