
इंद्र एकादशी व्रत में किन चीज़ों का सेवन करना चाहिए
✅ इंद्र एकादशी व्रत में सेवन योग्य आहार:
- फल – केला, सेब, अमरूद, अंगूर, अनार, पपीता आदि।
- सूखे मेवे – बादाम, काजू, अखरोट, किशमिश, खजूर, चिरौंजी।
- फलाहार – साबूदाना खिचड़ी/खीर, समा के चावल (व्रत का चावल), कुट्टू का आटा, राजगीरा (रामदाना), शकरकंद।
- दूध एवं दूध से बनी चीजें – दही, छाछ, पनीर, मखाना, खीर।
- मीठा – शुद्ध घी व मिश्री से बनी वस्तुएं, गुड़।
- पेय पदार्थ – नारियल पानी, नींबू पानी (बिना नमक), फल जूस।
- साधारण मसाले – सेंधा नमक, काली मिर्च, जीरा, अदरक का उपयोग किया जा सकता है।
🚫 जिन चीज़ों का सेवन वर्जित है:
- गेहूं, चावल, दालें, उड़द, चना, मूंग, मसूर आदि।
- प्याज, लहसुन, मांस, मछली, अंडा।
- तामसिक भोजन (नशीली वस्तुएँ, शराब आदि)।
- साधारण नमक (केवल सेंधा नमक का प्रयोग करें)।
👉 व्रत करने वाले पूरे दिन फलाहार करके भी व्रत निभा सकते हैं, और यदि संभव हो तो निर्जला व्रत (बिना जल ग्रहण किए) भी रखा जाता है।
इंद्र एकादशी व्रत – सम्पूर्ण जानकारी
1. महत्व
- यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है।
- मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पाप नष्ट होते हैं।
- स्वर्ग की प्राप्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- इस व्रत को करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – चारों पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं।
2. लाभ
- पापों का नाश और पुण्य की वृद्धि होती है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- संतान सुख और पारिवारिक कलह का निवारण होता है।
- रोग और शारीरिक कष्ट दूर होकर दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- मृत्यु के बाद पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
3. शिक्षा
- इस व्रत से हमें संयम, भक्ति और आत्मसंयम की शिक्षा मिलती है।
- लालच, अहंकार और नकारात्मक प्रवृत्तियों से दूर रहने का संदेश।
- सत्य, धर्म और भक्ति में जीवन को समर्पित करने की प्रेरणा।
4. व्रत विधि
- व्रत वाले दिन प्रातःकाल स्नान कर संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति/प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएँ।
- पीले वस्त्र पहनाएँ और फूल, अक्षत, तुलसीदल अर्पित करें।
- दीपक जलाएँ और धूप-दीप से पूजा करें।
- विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ या विष्णु मंत्र का जाप करें।
- दिनभर फलाहार करें और रात को जागरण करें।
- अगले दिन (द्वादशी) ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन व दान देकर व्रत का पारण करें।
5. पूजा सामग्री
- गंगाजल, कलश, रोली, अक्षत, पीला वस्त्र, पीले फूल।
- तुलसी पत्ते, धूप, दीपक, घी, कपूर।
- नैवेद्य (फल, मिष्ठान्न, पंचामृत)।
- शंख, घंटा, विष्णु भगवान की प्रतिमा/चित्र।
6. पूजा करने के उपाय
- व्रत के दिन तुलसी पत्र से भगवान विष्णु को अर्पण करना शुभ होता है।
- गरीबों व जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े, दान-दक्षिणा दें।
- घर में गीता का पाठ करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- पीले वस्त्र और पीले पुष्प चढ़ाने से आर्थिक लाभ मिलता है।
7. विशेष काम
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध व तर्पण करना।
- दान-पुण्य और भोजन वितरण करना।
- मंदिर में दीपदान करना।
- पूरे दिन भजन-कीर्तन और सत्संग में समय देना।
👉 इस तरह इंद्र एकादशी व्रत न केवल हमें आध्यात्मिक बल देता है बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष का मार्ग भी खोलता है।
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