
आमलकी एकादशी व्रत आमलकी एकादशी व्रत
आमलकी एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एकादशी तिथि है। यह व्रत फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ (आमलकी) की पूजा का विधान है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आमलकी एकादशी का महत्व
- धार्मिक महत्व: आमलकी को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है, और यह माना जाता है कि इस दिन इसकी पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
- सांस्कृतिक महत्व: इसे स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करने वाला व्रत माना जाता है। आंवला स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है और इसे शुद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है।
- मोक्ष प्राप्ति: यह व्रत व्यक्ति के पापों को नष्ट करता है और उसे मोक्ष प्रदान करता है।
आमलकी एकादशी व्रत विधि
- व्रत की तैयारी:
- व्रत के एक दिन पहले (दशमी तिथि) को सात्विक भोजन करें।
- एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा की प्रक्रिया:
- आंवले के पेड़ के नीचे पूजा का आयोजन करें। यदि पेड़ न हो तो एक आंवले के फल को प्रतीक मानकर पूजा करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं और फल, फूल, तुलसी पत्र, धूप आदि से पूजा करें।
- आमलकी वृक्ष की परिक्रमा करें और उसकी जड़ों में जल अर्पित करें।
- भजन और कथा:
- इस दिन आमलकी एकादशी की कथा सुनना और सुनाना बहुत शुभ माना जाता है। यह कथा भगवान विष्णु और आमलकी के महत्व को दर्शाती है।
- विष्णु सहस्रनाम और एकादशी व्रत के भजन गाएं।
- व्रत का पालन:
- दिनभर उपवास करें और फलाहार ग्रहण करें (यदि आवश्यक हो)।
- व्रत के दिन किसी भी तरह के तामसिक भोजन, क्रोध और असत्य से बचें।
- द्वादशी के दिन पारण:
- व्रत का समापन द्वादशी तिथि को किया जाता है। पारण के समय ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
आमलकी एकादशी की कथा
पुराणों के अनुसार, एक राजा चित्ररथ और उनके प्रजाजनों ने आमलकी वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की आराधना की। उनकी भक्ति और इस व्रत के प्रभाव से उनकी रक्षा राक्षसों से हुई। यह कथा व्रत के महत्व और इसके फल को दर्शाती है।
व्रत से लाभ
- पापों का नाश।
- आध्यात्मिक शुद्धि और मानसिक शांति।
- स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति।
- भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति।
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आमलकी एकादशी व्रत
आमलकी एकादशी व्रत