
अनंत चतुर्दशी व्रत अनंत सूत्र (पवित्र डोरी)का महत्व
अनंत चतुर्दशी व्रत में किन वस्तुओं का महत्व है?
अनंत चतुर्दशी व्रत में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। इस पूजा के लिए कुछ वस्तुएँ विशेष रूप से शुभ और आवश्यक मानी जाती हैं। उनका महत्व इस प्रकार है –
- अनंत सूत्र (पवित्र डोरी) – केसरिया या लाल धागे से बना अनंत सूत्र इस व्रत का मुख्य अंग है। इसे पुरुष दाएँ हाथ और महिलाएँ बाएँ हाथ में बाँधती हैं। यह अनंत सुख, समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक है।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र – पूजा के लिए विष्णु जी का स्वरूप अनिवार्य माना जाता है।
- कलश – जल से भरा हुआ कलश स्थापना का प्रतीक है और इसे विष्णुजी की उपस्थिति माना जाता है।
- शंख, चक्र और गदा के प्रतीक – ये भगवान विष्णु के आयुध हैं, जिनका पूजा में विशेष महत्व है।
- पंचामृत – दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से बना पंचामृत विष्णुजी को अर्पित किया जाता है।
- तुलसी दल – तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, बिना तुलसी के पूजा अधूरी मानी जाती है।
- फूल (विशेषकर लाल और पीले) – विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए।
- फल और मिठाई – विशेषकर नारियल, केले और मोदक या अन्य नैवेद्य।
- दीपक और धूप – पूजा में दीपक और धूप जलाने से वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है।
- रोली, अक्षत और हल्दी – पूजा की सामान्य सामग्री जो हर अनुष्ठान में उपयोग होती है।
- पीला वस्त्र या आसन – विष्णु भगवान को पीला रंग अति प्रिय है, अतः पूजा में इसका उपयोग शुभ माना जाता है।
- नारियल – कलश पर स्थापित नारियल समृद्धि और मंगल का प्रतीक है।
- पंचगव्य – धार्मिक शुद्धि और पवित्रता के लिए।
- जल और गंगाजल – शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक।
- भोग – खीर, मालपुआ या अपनी श्रद्धा से बने पकवान।
👉 इन वस्तुओं का उपयोग करके जब भक्त श्रद्धापूर्वक व्रत करता है तो जीवन में अनंत सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
अनंत चतुर्दशी व्रत विधि (Vidhi)
अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनकर किया जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है –
- स्नान और संकल्प – प्रातः स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- कलश स्थापना – पूजन स्थल पर कलश स्थापित करें और उस पर नारियल व आम्रपत्र रखें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें – विष्णु भगवान के अनंत रूप की पूजा करें।
- पूजा सामग्री अर्पित करें – रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और तुलसी दल अर्पित करें।
- अनंत सूत्र पूजा – अनंत सूत्र (14 गाँठ वाला पवित्र धागा) को हल्दी और केसर से रंगकर भगवान विष्णु को अर्पित करें।
- व्रत कथा श्रवण – अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा सुनना अथवा पढ़ना अनिवार्य है।
- अनंत सूत्र धारण – पुरुष दाएँ हाथ में और महिलाएँ बाएँ हाथ में अनंत सूत्र बाँधें।
- भोग लगाना – खीर, मालपुआ या अपनी श्रद्धा अनुसार भोग लगाएँ।
- आरती और प्रार्थना – विष्णु भगवान की आरती करें और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करें।
- दान-पुण्य – पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएँ और वस्त्र व दक्षिणा दें।
🌼 अनंत चतुर्दशी व्रत के लाभ (Labh)
- भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- धन-धान्य और वैभव की वृद्धि होती है।
- संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- दांपत्य जीवन मधुर और स्थिर होता है।
- विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
- रोग और शोक से मुक्ति मिलती है।
- लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
- व्यापार और नौकरी में सफलता मिलती है।
- पापों का नाश होकर पुण्य की वृद्धि होती है।
- जीवन के संकट और कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
- घर-परिवार में सौहार्द और प्रेम बना रहता है।
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- संतान की उन्नति और तरक्की होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
✨ इस प्रकार, अनंत चतुर्दशी व्रत विधि और लाभ जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर देते हैं।
संतोषी माता व्रत कथा: पौराणिक महत्व
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अनंत सूत्र (पवित्र डोरी)
अनंत सूत्र (पवित्र डोरी)