
अचला सप्तमी व्रत का महत्व:
अचला सप्तमी व्रत का विशेष महत्व हिंदू धर्म में माना जाता है। यह व्रत माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य देव की उपासना और आराधना के लिए किया जाता है। इसे रथ सप्तमी या सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है। इस व्रत को रखने से स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
अचला सप्तमी व्रत का महत्व:
- सूर्य देव की पूजा: इस दिन भगवान सूर्य को उनकी ऊर्जा और शक्ति के लिए पूजा जाता है। सूर्य देव को जीवनदाता माना जाता है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि: माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और सूर्य उपासना करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है।
- पापों का नाश: यह व्रत व्यक्ति के पापों को नष्ट करता है और मोक्ष प्रदान करता है।
- पर्यावरण और प्रकृति का सम्मान: सूर्य देव की पूजा प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक है।
अचला सप्तमी व्रत विधि:
- स्नान और तैयारी:
- प्रातः सूर्योदय से पहले स्नान करें। गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है।
- अगर नदी में स्नान संभव न हो, तो घर में जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- सूर्य को अर्घ्य दें:
- तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, चावल और थोड़ी कुंकुम मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- सूर्य मंत्र का जाप:
- सूर्य देव के मंत्र का जाप करें:
ॐ सूर्याय नमः।
- या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- व्रत रखें:
- दिनभर उपवास रखें। फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- दान:
- जरूरतमंदों को दान दें। गेहूं, गुड़, तांबा और लाल वस्त्र का दान विशेष फलदायी माना जाता है।
अचला सप्तमी व्रत कथा:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार एक वृद्धा महिला के पुत्र को कुष्ठ रोग हो गया। उसने ऋषि मुनियों से उपाय पूछा। उन्होंने उसे अचला सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा और व्रत करने की सलाह दी। वृद्धा ने पूरी श्रद्धा से व्रत रखा, और उसके पुत्र का रोग समाप्त हो गया। तब से यह मान्यता है कि अचला सप्तमी का व्रत सभी रोगों और कष्टों को दूर करता है।
विशेष बातें:
- इस दिन सूर्य को गुड़ और चावल चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- व्रत का पालन न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
- इसे करने से व्यक्ति को सुख, शांति और जीवन में उजाला प्राप्त होता है।
यह व्रत सरल, लेकिन अत्यंत फलदायी है। इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।