
"शिव जी की कथा और उनकी अपार महिमा"
भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ, महादेव, शंकर, रूद्र और त्रिनेत्रधारी कहा जाता है, संहार के देवता होने के बावजूद करुणा और प्रेम के सागर हैं। उनकी महिमा का वर्णन वेदों, पुराणों और उपनिषदों में विस्तृत रूप से मिलता है। वे भक्तों के सरल भक्ति मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं और कल्याण करते हैं।
🔱 शिव जी की प्रमुख कथाएँ और उनकी महिमा
- समुद्र मंथन और विषपान
देवों और असुरों ने जब समुद्र मंथन किया, तब सबसे पहले कालकूट विष निकला। यह विष इतना घातक था कि सम्पूर्ण सृष्टि नष्ट हो सकती थी। तब भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण किया और “नीलकंठ” कहलाए। इस घटना से उनकी त्याग और करुणा की महिमा प्रकट होती है। - गंगा अवतरण
जब गंगा को पृथ्वी पर लाया गया, उसकी प्रचंड धारा से सब कुछ बह सकता था। शिव जी ने गंगा को अपनी जटाओं में समेटकर धीरे-धीरे पृथ्वी पर प्रवाहित किया। यह दर्शाता है कि शिव केवल संहार नहीं, संतुलन और पालन के भी देवता हैं। - भस्मासुर की कथा
भस्मासुर को वरदान मिलते ही उसने शिव जी को ही भस्म करने की कोशिश की। शिव जी ने भगवान विष्णु को सहायता के लिए बुलाया। यह दिखाता है कि शिव समस्त शक्तियों के ज्ञाता हैं और अपनी लीलाओं से अधर्म का नाश करते हैं। - शिव और सती/पार्वती
सती का आत्मदाह और पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लेकर शिव से पुनः विवाह करना, यह दिखाता है कि सच्चा प्रेम और भक्ति कभी नष्ट नहीं होता। शिव-पार्वती का संबंध आदर्श गृहस्थ जीवन का प्रतीक है। - शिव का तांडव
जब शिव जी तांडव करते हैं, वह ब्रह्मांडीय शक्ति का रूप होता है — जिसमें सृजन, संरक्षण और संहार तीनों समाहित हैं। उनका तांडव न केवल नृत्य है, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की गति है।
🕉️ शिव जी की महिमा का सार
- भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं, जिन्हें “आशुतोष” कहा जाता है।
- वे जात-पात, धन-दौलत नहीं देखते — केवल भक्ति और श्रद्धा स्वीकार करते हैं।
- शिव लिंग के माध्यम से वे निराकार रूप में भी पूज्य हैं।
- उनका वाहन नंदी, गले में सर्प, शरीर पर भस्म और त्रिनेत्र – सभी उनके विविध गुणों के प्रतीक हैं।
🌺 निष्कर्ष
भगवान शिव की महिमा अनंत है। जो भी सच्चे मन से “ॐ नमः शिवाय” का जाप करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और वह शिव की कृपा से मोक्ष को प्राप्त करता है।
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