बृहस्पति देव की पूजा विधि
📅 रंभा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:
रंभा एकादशी व्रत हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 17 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। यह तिथि भगवान विष्णु की आराधना और व्रत-पूजन के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 16 अक्टूबर 2025, शाम 07:18 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2025, शाम 05:45 बजे
- पारण (व्रत खोलने) का समय: 18 अक्टूबर 2025, प्रातः 06:20 से 08:45 बजे तक
🌼 रंभा एकादशी व्रत का महत्व
रंभा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विशेष रूप से सौभाग्य और वैवाहिक सुख प्रदान करने वाला माना जाता है।
रंभा एकादशी का नाम apsara “रंभा” के नाम पर पड़ा, जिनकी भक्ति और पवित्रता को देखकर भगवान विष्णु ने यह तिथि अत्यंत पवित्र घोषित की।
इस दिन व्रत करने से —
- पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
- जीवन में समृद्धि और शांति आती है।
- नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य का नाश होता है।
- व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
🙏 रंभा एकादशी व्रत विधि (Puja Vidhi)
- स्नान और संकल्प:
प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष व्रत का संकल्प लें। - विष्णुजी की पूजा:
भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। - व्रत का पालन:
भक्तजन इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं। यदि स्वास्थ्य अनुमति न दे, तो फलाहार कर सकते हैं।
दिनभर भगवान विष्णु के नाम का जाप करें और सत्संग या कथा श्रवण करें। - रंभा एकादशी कथा श्रवण:
शाम के समय रंभा एकादशी की कथा सुनना या पढ़ना अनिवार्य माना गया है।
ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। - रात्रि जागरण:
कई श्रद्धालु इस दिन रातभर जागरण करते हैं और “हरे राम हरे कृष्ण” का कीर्तन करते हैं। - पारण (व्रत खोलना):
द्वादशी तिथि को प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु को प्रसाद चढ़ाएं और फिर दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।
🌸 रंभा एकादशी की कथा (संक्षेप में)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार इंद्रलोक में रंभा नामक अप्सरा ने एक राजा को अपने तप से मोहित किया। लेकिन जब राजा ने अपनी बुद्धि से स्वयं को संयमित रखा, तो भगवान विष्णु उनके सामने प्रकट हुए और बोले —
“हे राजन! तुमने अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर जो तप किया है, उससे तुमने रंभा एकादशी का व्रत पूरा किया है। यह व्रत उन लोगों के लिए वरदान समान होगा जो भक्ति, सौभाग्य और मोक्ष की कामना रखते हैं।”
🌻 रंभा एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- तुलसी, पीले वस्त्र और विष्णु नाम का स्मरण करें।
- गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
- घर में शुद्ध वातावरण रखें।
क्या न करें:
- क्रोध, झूठ और अपशब्दों का प्रयोग न करें।
- मांस, शराब या तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- अनावश्यक विवाद या वाद-विवाद से दूर रहें।
🌼 रंभा एकादशी व्रत के लाभ
- व्यक्ति को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- पाप कर्मों का नाश होता है।
- विष्णुजी की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
- अविवाहितों को योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है।
- यह व्रत आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
✨ निष्कर्ष:
रंभा एकादशी का व्रत केवल एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि यह जीवन में अनुशासन, संयम और भक्ति की भावना विकसित करता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना से भक्त के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का संचार होता है।
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