बृहस्पतिवार को केले के पेड़ संक्षेप विधि, मंत्र, कथा, आरती
नीचे “मोक्षदा एकादशी पर तर्पण कैसे करें: संपूर्ण विधि” बहुत सरल और पारंपरिक तरीके से दी गई है। यह विधि घर पर भी की जा सकती है—बस श्रद्धा और शुद्ध भावना सबसे महत्वपूर्ण है।
⭐ मोक्षदा एकादशी पर तर्पण कैसे करें: संपूर्ण विधि
🕉️ 1. सुबह स्नान और संकल्प
- ब्रह्ममुहूर्त या प्रातःकाल स्नान करें।
- साफ़ वस्त्र पहनें (सफेद या हल्के रंग के)।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और संकल्प लें—
“मैं अपने पितरों की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण कर रहा/रही हूँ।”
🌿 2. तर्पण के लिए आवश्यक सामग्री
- ताँबे/पीतल का लोटा
- काला तिल
- जल
- कुशा (यदि उपलब्ध)
- सफेद फूल
- अक्षित (चावल)
- पितरों का स्मरण
🌅 3. तर्पण करने की दिशा
- तर्पण हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके किया जाता है।
- यह पितरों की दिशा मानी जाती है।
🪔 4. तर्पण विधि (जल तर्पण)
- लोटे में जल भरें।
- उसमें काला तिल, फूल, और चावल मिलाएँ।
- दायाँ हाथ आगे बढ़ाएँ (कुशा की अंगूठी हो तो पहनें)।
- पितरों का नाम लेते हुए जल धीरे-धीरे धरती पर छोड़ें।
उदाहरण मंत्र (सरल):
“ॐ पितृदेवताताभ्यो नमः, तिलोदकं समर्पयामि।”
या साधारण भाषा में भी कह सकते हैं:
“हे पितरों, यह तर्पण आपको समर्पित है, कृपा करें और आशीर्वाद दें।”
🕯️ 5. तीन बार जल अर्पण
तर्पण सामान्यतः तीन बार किया जाता है—
- पितृगणों के लिए
- कुलदेवों के लिए
- सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के लिए
🙏 6. विष्णु पूजन
मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है।
- श्रीहरि की पूजा करें
- तुलसी दल अर्पित करें
- “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र जप करें
यह पितरों को मोक्ष व शांति दिलाने में विशेष फलदायी माना जाता है।
🍚 7. ब्राह्मण/जरूरतमंद को दान
तर्पण के बाद
- भोजन, कपड़े, फल, तिल
या - कोई भी सत्कर्म का दान करें
यह पितृ तर्पण को पूर्णता देता है।
मोक्षदा एकादशी पर जल तर्पण कैसे करें
