
भादो मास ऋषि पंचमी व्रत का पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
तिथि (2025 में ऋषि पंचमी व्रत)
- भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पंचमी का दिन है गुरुवार, 28 अगस्त 2025।
- पंचमी तिथि 27 अगस्त, दोपहर 3:44 बजे से प्रारंभ होकर 28 अगस्त, शाम 5:56 बजे तक रहेगी ।
- चूंकि पंचमी तिथि का सूर्योदय 28 अगस्त को होता है, इसलिए व्रत और पूजा उस दिन यानी 28 अगस्त को ही की जाती है।
सारांश
विवरण | तारीख और समय |
---|---|
पंचमी तिथि | 27 अगस्त 2025, दोपहर 3:44 बजे तक |
पंचमी तिथि समाप्त | 28 अगस्त 2025, शाम 5:56 बजे तक |
व्रत मनाने का दिन | 28 अगस्त 2025 (गुरुवार) |
ऋषि पंचमी का महत्व
- यह त्योहार सप्त ऋषियों—कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ—की पूजा और सम्मान के लिए मनाया जाता है।
- विशेष रूप से महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान अनजाने में हो सकने वाले पापों से मुक्ति तथा आत्म-शुद्धि की इच्छा से इस व्रत को पालन करती हैं।
🌸 भादो मास ऋषि पंचमी व्रत की विधि
ऋषि पंचमी व्रत को विशेष रूप से महिलाएँ करती हैं। इसे सप्त ऋषियों और अरुंधती देवी की पूजा का दिन माना जाता है। नीचे इसकी संपूर्ण पूजा-विधि दी जा रही है –
🕉️ व्रत एवं पूजा विधि
- प्रातः स्नान
- व्रती (स्त्री/पुरुष) प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- प्रायः नदी, तालाब या कुएँ के जल से स्नान करना श्रेष्ठ माना गया है।
- स्नान के समय मिट्टी (उपला/गोमूत्र मिलाकर) से शरीर शुद्ध करने का विधान है।
- संकल्प
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें – “मैं सप्त ऋषियों की पूजा करके पाप निवारण हेतु ऋषि पंचमी व्रत करूँगा/करूँगी।”
- सप्त ऋषि एवं अरुंधती पूजा
- लकड़ी के पट्टे (चौकी) पर सप्त ऋषियों (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ) व अरुंधती देवी की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।
- लाल या पीले कपड़े से आच्छादित कर, उन पर हल्दी, कुंकुम, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
- दीपक जलाएँ और धूप अर्पित करें।
- व्रत कथा श्रवण
- ऋषि पंचमी की कथा का श्रवण करना अनिवार्य है।
- कथा सुनने-सुनाने से व्रत पूर्ण माना जाता है।
- भोजन नियम
- इस दिन केवल फलाहार करना चाहिए।
- लहसुन, प्याज, अन्न और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए शुद्ध आहार करना चाहिए।
- दान-पुण्य
- पूजा समाप्ति के बाद ब्राह्मणों को दान करें।
- विशेषकर अन्न, वस्त्र, पात्र और दक्षिणा अर्पित करने का विधान है।
- अंतिम पूजा और व्रत समापन
- अंत में सप्त ऋषियों की प्रार्थना करके व्रत का समापन करें।
- घर के सभी सदस्यों की दीर्घायु और पाप निवारण की प्रार्थना करें।
✨ विशेष नियम
- इस व्रत में भूमि पर सोना चाहिए, पलंग पर नहीं।
- दाँत नीम की दातुन या अपामार्ग की लकड़ी से साफ करना शुभ माना गया है।
- महिलाओं के लिए यह व्रत विशेष रूप से शुद्धि और पाप निवारण हेतु श्रेष्ठ है।
👉 इस व्रत का पालन करने से अनजाने में हुए स्त्री-धर्म संबंधित दोष और कर्मजनित पाप नष्ट होकर जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है।
भादो मास ऋषि पंचमी
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