बृहस्पतिवार के दिन, बृहस्पति देव की पूजा विधि
बृहस्पति देव को देवताओं का गुरु माना गया है। वे ज्ञान, वाणी, धन, संतान, सौभाग्य, विवाह, सम्मान और आध्यात्मिक उन्नति के कारक हैं। गुरु की कृपा से जीवन में स्थिरता, बुद्धि और सद्भाव बढ़ता है।
पूजा का समय व दिन
- सबसे शुभ दिन: गुरुवार (बृहस्पतिवार)
- समय: प्रातःकाल सूर्योदय के बाद
- उपयुक्त दिशा: उत्तर, उत्तर-पूर्व (ईशान), या पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करें।
आवश्यक सामग्री (पूजा-सामग्री सूची)
- पीला साफ आसन या कपड़ा
- बृहस्पति देव/गुरु ग्रह की तस्वीर या शुद्ध पीला वस्त्र
- पीले फूल (विशेषकर पीला गुलदाउदी या गेंदे का फूल)
- हल्दी, चावल, अक्षत
- चने की दाल, बेसन के लड्डू या बूंदी का प्रसाद
- केसर या हल्दी से बना तिलक
- अगरबत्ती, दीपक (घी का)
- शुद्ध जल वाला पात्र
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, चीनी)
- पीला फल (केला, आम आदि)
- पीली वस्तुएँ दान हेतु (हल्दी, चना दाल, पीला कपड़ा, केसर इत्यादि)
- गुरु की अंगूठी या पीला वस्त्र (वैकल्पिक)
पूजा-पूर्व तैयारी
- स्नान करें और पीले या हल्के सफेद कपड़े पहनें।
- घर में उत्तर-पूर्व दिशा में एक स्वच्छ स्थान चुनें।
- वहां पीला आसन बिछाकर पूजा-सामग्री व्यवस्थित करें।
- कुछ देर गायत्री मंत्र या ॐ जपकर मन शुद्ध करें।
पूजा की चरणबद्ध विधि
(1) संकल्प
दाहिने हाथ में जल, चावल और फूल लेकर अपने मन की इच्छा बताएं:
“मैं आज बृहस्पति देव की पूजा संतोषपूर्वक करने का संकल्प लेता/लेती हूँ।”
जल को धीरे से नीचे छोड़ दें।
(2) स्थान शुद्धि
- जल से छिड़काव कर स्थान शुद्ध करें।
- दीपक प्रज्ज्वलित करें।
(3) आह्वान
तस्वीर के सामने दोनों हाथ जोड़कर कहें:
“ॐ बृहस्पते नमः। मैं आपको स्मरण करता/करती हूँ, कृपया मेरी पूजा स्वीकार करें।”
(4) आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन
तस्वीर या प्रतीक के सामने क्रम से चढ़ाएं:
- जल (आचमन रूप)
- चावल
- पुष्प
(यह प्रतीकात्मक रूप से देवता को आसन देने जैसा है।)
(5) अभिषेक
यदि मूर्ति है तो पंचामृत से स्नान कराएं।
यदि चित्र है, तो कुछ बूँदें जल व पंचामृत अर्पण की तरह छिड़कें।
(6) वेश, गंध, पुष्प अर्पण
- हल्दी का तिलक लगाएँ।
- पीले फूल अर्पित करें।
- पीले वस्त्र/कपड़ा अर्पित कर सकते हैं (वैकल्पिक)।
(7) गुरु मंत्र जप (मुख्य भाग)
आप इनमें से कोई भी मंत्र चुन सकते हैं:
1. मूल मंत्र
“ॐ गुरवे नमः”
2. बृहस्पति बीज मंत्र (अत्यंत प्रभावी)
“ॐ ग्राम् ग्रीम् ग्रोम् सः गुरुवे नमः”
(108 बार जप)
3. नवग्रह गुरु मंत्र
“ध्यानञ्जन समाभासं रविपुत्रं बृहस्पतिम्।
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि बृहस्पतिम्॥”
4. गायत्री मंत्र (गुरु ग्रह का विशेष स्वरूप)
“ॐ वृहस्पतये विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि।
तन्नो गुरु: प्रचोदयात्॥”
(8) प्रसाद अर्पण
- बेसन के लड्डू / बूंदी
- केला
- चने की दाल
प्रसाद अर्पित कर घर परिवार में वितरित करें।
(9) आरती
बृहस्पति देव की आरती करें:
“ॐ जय जय गुरुदेव बृहस्पति।”
(पूरी पारंपरिक आरती भी की जा सकती है)
(10) दान (सबसे महत्वपूर्ण)
गुरुवार के दिन दान गुरु ग्रह को अत्यंत प्रिय है:
- पीला कपड़ा
- हल्दी
- चना दाल
- मिठाई
- किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन
(11) व्रत (वैकल्पिक)
गुरुवार को:
- पीली चीजें खाएँ
- नमक छोड़कर भी व्रत किया जा सकता है
- भगवान विष्णु की पूजा भी गुरु के साथ अनिवार्य मानी गई है
⭐ बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के विशेष उपाय
- गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा
- गुरुवार को बाल/दाढ़ी न कटवाना
- घर में पीली चीज का उपयोग
- ब्राह्मण/गुरु का सम्मान
श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय “ज्ञान-विज्ञान योग”
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बृहस्पतिवार के दिन, बृहस्पति देव की पूजा विधि
बृहस्पतिवार के दिन, बृहस्पति देव की पूजा विधि
