पापों से मुक्ति दिलाने वाली मोक्षदा एकादशी
पापों से मुक्ति दिलाने वाली — मोक्षदा एकादशी
मोक्षदा एकादशी वह पावन तिथि है जिसे शास्त्रों में पापों का नाश करने वाली, पितृ-उद्धारक और मोक्ष प्रदान करने वाली कहा गया है। यह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में आती है और इसी दिन भगवद्गीता का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन व्रत और उपासना का फल अनेक गुणा बढ़ जाता है।
मोक्षदा एकादशी क्यों दिलाती है पापों से मुक्ति?
- इस दिन भगवान विष्णु की कृपा विशेष रूप से सक्रिय मानी जाती है।
- पुराणों में वर्णन है कि इस व्रत के प्रभाव से गंभीर पाप भी क्षीण हो जाते हैं।
- गीता का स्मरण और विष्णु-पूजन मन को शुद्ध करता है, जिससे भीतर की नकारात्मक प्रवृत्तियाँ मिटने लगती हैं।
- व्रत, संयम, सत्य, दया और अहिंसा—ये पाँच तत्व मिलकर मनुष्य को पापबोध और पापबंधन से मुक्त होने की दिशा में अग्रसर करते हैं।
इस दिन के मुख्य आध्यात्मिक लाभ
1. मन-शुद्धि
उपवास से इंद्रियों पर संयम आता है और भक्ति से मन निर्मल होता है।
2. पूर्वजों को उद्धार
मोक्षदा एकादशी के व्रत से पितरों को मोक्ष मिलने का वर्णन मिलता है।
3. गीता-पाठ का महाफल
इस दिन गीता का पाठ या श्रवण पापों का नाशक माना गया है।
4. विष्णु-भक्ति की वृद्धि
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप मन को दिव्यता से भर देता है।
व्रत-विधि (संक्षेप में)
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु/श्रीकृष्ण की पूजा करें, तुलसी पत्र अर्पित करें।
- संभव हो तो निर्जल या फलाहार व्रत रखें।
- गीता का पाठ या कम से कम गीता के 12वें या 18वें अध्याय का पाठ अवश्य करें।
- दान-पुण्य करें—यह पापों के नाश का श्रेष्ठ साधन बताया गया है।
- अगले दिन द्वादशी को परायण कर व्रत पूर्ण करें।
मोक्षदा एकादशी का सार
यह तिथि केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि का साधन है।
जो व्यक्ति भक्ति, संयम और सदाचार के साथ इस व्रत को करता है, उसके—
- मन के विकार क्षीण होते हैं,
- पाप-बाधाएँ दूर होती हैं,
- जीवन में सहज शांति और दिव्यता आती है।
नदी के कान में क्या बोलने से मनोकामना पूर्ण होती है
https://www.youtube.com/@bhaktikibhavnaofficial/featured
