
नवरात्र 2025 का नया कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त
महा अष्टमी (30 सितंबर 2025):
- संध्या मुहूर्त: सुबह 5:01 बजे से 6:13 बजे तक
- दूसरा मुहूर्त: सुबह 10:41 बजे से 12:11 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 बजे से 12:35 बजे तक
महा नवमी (1 अक्टूबर 2025):
- संध्या मुहूर्त: सुबह 5:01 बजे से 6:13 बजे तक
- दूसरा मुहूर्त: सुबह 10:41 बजे से 12:11 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:47 बजे से 12:35 बजे तक
कन्या पूजन विधि
- कन्याओं का चयन: नौ कन्याओं को आमंत्रित करें, जिनकी आयु 2 से 10 वर्ष के बीच हो।
- स्वागत: कन्याओं का स्वागत करें, उनके पांव धोकर उन्हें तौलिया से पोंछें।
- भोजन: उन्हें हलवा, पूड़ी, चने और फल का भोग अर्पित करें।
- दक्षिणा: उन्हें लाल चूड़ी, वस्त्र, दक्षिणा और आशीर्वाद दें।
- पूजा: कन्याओं के साथ देवी के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
कन्या पूजन से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। यह पूजन विशेष रूप से नवरात्रि के अंतिम दिनों में किया जाता है।
कन्या पूजन की विधि
- कन्याओं का चयन: 1 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को देवी के रूप में पूजा जाता है।
- स्वागत: कन्याओं का स्वागत करें और उनके पांव धोकर उन्हें आसन पर बिठाएं।
- पुजन सामग्री: दीपक, अगरबत्ती, चंदन, फूल, चावल, रोली, मौली, शक्कर, फल, पंखा, चूड़ी, बिंदी, कॉपी, पेंसिल, बैग आदि रखें।
- पूजन: कन्याओं के सिर पर तिलक करें, उन्हें भोजन कराएं और उपहार दें।
- दक्षिणा: कन्याओं को दक्षिणा दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
उपहार और दक्षिणा
- उपहार: चूड़ी, बिंदी, पढ़ाई-लिखाई से संबंधित सामग्री जैसे पेंसिल, कॉपी, बैग आदि।
- दक्षिणा: धन, मिठाई, फल आदि।
कन्या पूजन का महत्व
- माँ दुर्गा की आराधना:
कन्याओं में माँ दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। उनके चरणों में सम्मान देने से देवी की कृपा प्राप्त होती है। - सत्कर्म और दया का संदेश:
कन्याओं का पूजन इंसान को दया, सेवा और विनम्रता की शिक्षा देता है। - परिवार में सकारात्मक ऊर्जा:
इस दिन किए गए पूजन से घर में सुख-शांति, भाईचारा और सौहार्द्य बढ़ता है। - नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा:
बच्चों के प्रति सम्मान और स्नेह से समाज में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा मिलता है।
कन्या पूजन के लाभ
सकारात्मक समाजिक प्रभाव:
बच्चों और कन्याओं का सम्मान समाज में सदाचार और सामाजिक उत्तरदायित्व बढ़ाता है।
संपत्ति और समृद्धि:
कन्याओं की सेवा करने से घर में ऐश्वर्य और धन की वृद्धि होती है।
सुख-शांति और स्वास्थ्य:
इस दिन की गई पूजा से परिवार में मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
पापों का नाश:
कन्या पूजन पापों को समाप्त करने और जीवन में पुण्य की प्राप्ति का मार्ग खोलता है।
भक्ति और आशीर्वाद:
माता दुर्गा की भक्ति से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं और सभी कार्य सफल होते हैं।
पूजा करने के नियम
- साफ-सफाई: घर और पूजा स्थल पूरी तरह साफ हो।
- सही मुहूर्त: पूजन का समय शुभ मुहूर्त में ही करें।
- उपवास: अगर संभव हो तो पूजन से पहले दिन का उपवास रखें।
- सज्जा: पूजा स्थल को फूल, रंगोली और दीपक से सजाएँ।
- सादगी: पूजा के दौरान सरल और सच्चे मन से हृदय की भक्ति रखें।
- कन्याओं की संख्या: आम तौर पर 9 कन्याओं को आमंत्रित करना शुभ माना जाता है।
पूजा करने का तरीका (उपाय)
- कन्याओं का स्वागत:
- पानी से पांव धोकर साफ करें।
- तौलिये से पोंछें और अच्छे वस्त्र पहनाएँ।
- स्नान और श्रृंगार:
- कन्याओं के सिर पर हल्का तिलक करें।
- उनके लिए हल्के फूल और मेहंदी का इस्तेमाल करें।
- भोग अर्पित करें:
- हलवा, पूड़ी, चने, फल, और मिठाई कन्याओं को अर्पित करें।
- भोजन के बाद कन्याओं को आशीर्वाद और दक्षिणा दें।
- पूजा विधि:
- कन्याओं के समक्ष माता के मंत्र और आरती करें।
- “ॐ देवी सर्वभूतेषु कन्यापूजनं कुरु” या अन्य स्तुति का पाठ करें।
- दान और दक्षिणा:
- लाल कपड़े, चूड़ियां, मिठाई, फल या पैसे कन्याओं को दें।
- इस कार्य से पुण्य की प्राप्ति होती है।
उपाय:
- कन्या पूजन के दिन घर के छोटे बच्चों और जरूरतमंद कन्याओं को भोजन और वस्त्र दान करना अत्यंत शुभ होता है।
- पूजन के दौरान हमेशा सच्चे मन से करें, बिना किसी क्रोध या द्वेष के।
शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना विधि
https://www.youtube.com/@bhaktikibhavnaofficial/vedio
नवरात्र 2025 का नया कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
नवरात्र 2025 का नया कन्या पूजन शुभ मुहूर्त