
कृष्ण जन्माष्टमी विशेष भोग-विधि एवं पारन
कृष्ण जन्माष्टमी पर भोग-विधि का अपना विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को बाल स्वरूप में मक्खन, मिश्री, दूध और मिठाइयाँ अति प्रिय हैं। यहाँ मैं आपको परंपरागत और विशेष भोग-विधि विस्तार से बता रहा हूँ —
1. पूजा और भोग का समय
- जन्माष्टमी के दिन व्रत रखकर मध्यरात्रि के निशीथा काल में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
- इसी समय भोग अर्पण किया जाता है, फिर माखन-मिश्री और पंचामृत से उनका अभिषेक किया जाता है।
2. भोग की तैयारी
भोग सात्विक और निर्लोण (बिना प्याज-लहसुन) होना चाहिए।
मुख्य सामग्री:
- माखन और मिश्री — यह श्रीकृष्ण का प्रियतम भोग है।
- दूध और दही — ताजे और शुद्ध।
- पंचामृत — दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से।
- सूखी मिठाइयाँ — पेड़ा, लड्डू, बर्फी आदि।
- फल — केले, सेब, अंगूर, अनार आदि।
- मेवा मिष्ठान — काजू-किशमिश, बादाम, पिस्ता आदि।
3. भोग-विधि क्रम
- सफाई व पवित्रता — पूजा स्थान और भोग पात्र अच्छी तरह धोकर पवित्र कर लें।
- भगवान को सजाना — मोरपंख, फूलों की माला, पीताम्बर आदि से सजाएँ।
- अभिषेक — पंचामृत से अभिषेक करें, फिर गंगाजल से स्नान कराएँ।
- भोग सजाना — केले के पत्ते या चाँदी/पीतल के थाल में सभी भोग सजाएँ।
- आरती के साथ भोग अर्पण — घंटी, शंख और भजन के साथ भोग अर्पित करें।
- मंत्रोच्चारण — “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- भोग उतारना — थोड़ी देर बाद भोग उतारकर प्रसाद के रूप में वितरित करें।
4. विशेष भोग के कुछ लोकप्रिय विकल्प
नारियल के लड्डू
माखन मिश्री
मलाई पेड़ा
धनिया पंजीरी (विशेषकर उत्तर भारत में)
गोपाला कचौरी
मखाने की खीर
5. पारण का सही समय — जन्माष्टमी 2025
- अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025, रात 9:34 PM
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 17 अगस्त 2025, लगभग सुबह (सटीक समय आपके शहर के अनुसार अलग हो सकता है)
- पारण का समय: 17 अगस्त 2025, सूर्योदय के बाद, जब दोनों शर्तें पूरी हो जाएँ।
पारण विधि
उसके बाद हल्का सात्विक भोजन करें — जैसे खीर, साबूदाना, कुट्टू/सिंघाड़े के आटे की पूरी, आलू की सब्जी।
गंगाजल से आचमन कर लें।
भगवान कृष्ण को प्रणाम करके व्रत समाप्त करने की अनुमति माँगें।
भोग का प्रसाद (माखन-मिश्री, फल, मिठाई) सबसे पहले लें।